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मैनपाट। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग पेन्पा त्सेरिंग वर्तमान में दिल्ली, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र स्थित तिब्बती बस्तियों की एक सप्ताह की आधिकारिक यात्रा पर हैं।
मंगलवार, १२ अप्रैल को मैनपाट में फेंडेलिंग तिब्बती बस्ती के अपने दौरे में सिक्योंग ने १६वें कशाग के उद्देश्यों के बारे में तिब्बत निवासियों को संबोधित किया और अब तक की गतिविधियों पर रिपोर्ट दी। पिछले साल जून में पद संभालने के बाद सिक्योंग ने लद्दाख, कलिम्पोंग, दार्जिलिंग, गंगटोक और उत्तराखंड की तिब्बती बस्तियों सहित भारत भर में कई बस्तियों का दौरा किया। वह जून में पूर्वोत्तर भारत में तिब्बती बस्तियों का दौरा करेंगे।
यहां के सेटलमेंट अधिकारी तेनज़िन धादोन ने सबसे पहले परिचयात्मक भाषण दिया और बस्ती की संक्षिप्त वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी। अपने मुख्य भाषण में सिक्योंग ने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान कम से कम दो बार सभी बस्तियों का दौरा करने की इच्छा व्यक्त की।
सिक्योंग ने अपने संबोधन में सबसे पहले तिब्बत के अंदर की मौजूदा स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डाल। उन्होंने संक्षेप में कुछ उदाहरण देते हुए बताया कि तिब्बत के अंदर चीनी सरकार तिब्बती भाषा का दमन कर रही है, निजी स्कूलों को बंद कर रही है धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदियां लगा रही है। सिक्योंग ने सभा में इस संघर्ष को हल करने के लिए मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के लाभों को गिनाया।
बाद में शाम को सिक्योंग ने बेरोजगार युवाओं के एक समूह को संबोधित किया, जहां उन्होंने सीटीए के अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले स्कूलों के सीटीएसए स्कूलों में परिवर्तित होने की सूचना दी, जिसकी मंजूरी पिछले साल मई में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालयद्वारा पारित की गई थी। इसके अलावा, उन्होंने १६वें कशाग के मुख्य उद्देश्यों में से एक के रूप में युवा बेरोजगारी के उन्मूलन के विषय को उठाया, जिसमें अधिक व्यावसायिक और व्यापार कौशल के प्रावधान सहित बस्तियों में व्यवसाय शुरू करने वाले तिब्बती उद्यमियों के लिए ऋण उपलब्ध कराने की कशाग की योजना शामिल है।