दैनिक जागरण, 14 सितम्बर, 2012
जागरण संवाददाता, देहरादून: अहिंसा और सद्भाव के मार्ग पर चलकर ही दुनिया में शांति की स्थापना है। भगवान बुद्ध ने हमें शांति की जो राह सुझाई, वही उन्नति का सर्वोत्तम मार्ग है, लेकिन शांति शिक्षा के जरिये आती है। इसलिए हम सबका कर्तव्य है कि ज्ञान का व्यावहारिक उपयोग समाज में शांति के लिए करें।
धर्मगुरु दलाई लामा ने तिब्बती में दिए संदेश में यह बात कही। सहस्रधारा रोड स्थित डिकलिंग स्कूल में प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म वही है, जिसे में आचरण में उतारकर व्यवहार में लाते हैं। किसी को दुख देना धर्म हो ही नहीं सकता है। जहां हिंसा, वैमनस्य व अशांति है, वहां धर्म के लिए कोई जगह नहीं। भगवान बुद्ध का मानवता के लिए संदेश यही है कि खुद भी शांतिपूर्वक जिएं और दूसरों को भी शांति से रहने दें।
इससे पूर्व डिकलिंग में अनुयायियों ने ट्रैंपेड की धुन व धूप की सुगंध के बीच पारंपरिक नृत्य-गीत के साथ धर्मगुरु का अभिनंदन किया। उन्हें खता व गुलदस्ते भेंट करने को तिब्बतियों में होड़ लगी रही। धर्मगुरु दलाई लामा के आने की खुशी में निर्वासित तिब्बती समुदाय ने ‘डेसी’ का भोग लगाया। इस मौके पर धर्मगुरु ने कुछ लोगों को मेंडुप भी दिया। मेंडुप पवित्र माना जाने वाला मंत्र खंडित खाद्य पदार्थ है।
उधर, जिलाधिकारी रविनाथ रमन व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नीरू गर्ग ने भी सहस्रधारा रोड स्थित बौद्ध मठ पहुंचकर तिब्बती धर्मगुरु से शिष्टाचार भेंट की।