०२ अक्तूबर, २०२२
धर्मशाला।सिक्योंग पेन्पा छेरिंग के नेतृत्व वाले केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने महात्मा गांधी को उनकी १५३वीं जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की।
गंगचेन किइशोंग में आयोजित आधिकारिक समारोह में निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर खेनपो सोनम तेनफेल, उपाध्यक्ष डोल्मा छेरिंग तेखांग, कार्यवाहक मुख्य न्यायिक आयुक्त कर्मा दादुल, कालोन, सचिव, सीटीए के स्वायत्त निकायों के प्रमुख और सीटीए के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
मीडिया के साथ बातचीत में सिक्योंग ने कहा, ‘दुनिया ने बहुत सारे असाधारण नेता हुए हैं। लेकिन गांधी पहले प्रभावशाली और प्रेरक नेता हैं, जिन्होंने अहिंसा और अहिंसक दृष्टिकोण के माध्यम से संघर्ष को हल करने के लिए पूर्ण निष्ठा का मानदंड स्थापित किया। १९०९ में उनके सिद्धांतों और दृष्टि का प्रतीक ‘हिंद स्वराज’ में लिखा गया उनका विचार भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मौलिक आचार संहिता बनी।
भारत की स्वतंत्रता हासिल करने में गांधी ने जिन सिद्धांतों और विचारधाराओं को अपनाया था, सिक्योगे ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि परम पावन दलाई लामा के मार्गदर्शन में तिब्बती आंदोलन निरंतर उसी मॉडल पर चल रहा है।
सिक्योंग ने आज की दुनिया में गांधीवादी सिद्धांतों की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा, ‘हमारा आंदोलन न केवल गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों और धर्म से प्रेरित है और उन पर आधारित है, बल्कि सभी धर्मों की एकता का समर्थन करने का हमारी नीति भी गांधी के विचारों के अनुरूप हैं।’ उन्होंने इस अवसर पर चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने में अहिंसा के पालन को भी एकमात्र साधन के रूप में अपनाने का संकल्प लिया।