विभागीय सचिवों और वरिष्ठ सीटीए अधिकारियों के साथ सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग
tibet.net
१५ अगस्त, २०२१
धर्मशाला। भारत के ७५वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर १५ अगस्त को कशाग सचिवालय में एक संक्षिप्त स्मृति समारोह का आयोजन किया गया। सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग के नेतृत्व में आयोजित समारोह में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के विभिन्न विभागों के सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
समारोह की शुरुआत में सिक्योंग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ फहराया गया और उसके बाद भारत का राष्ट्रगान गाया गया। समारोह के बाद, सिक्योंग ने मीडिया कर्मियों को संबोधित किया और इस ऐतिहासिक दिन पर भारत की सरकार और लोगों को बधाई दी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह एक अच्छी तरह से स्थापित इतिहास है कि भारतीय राष्ट्रीय संघर्ष २०० वर्षों तक चला। इसकी तुलना में तिब्बती संघर्ष अपने ७०वें वर्ष में ही है जो अपेक्षाकृत कम अवधि का है। जब किसी राष्ट्र या लोगों के संघर्ष का संबंध हो तो चाहे वह अगले १०० वर्षों तक जारी रहे, उसे हमें नहीं रोकना चाहिए। हमें सामूहिक रूप से प्रयास करते रहना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘उदाहरण के लिए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में स्वतंत्रता प्राप्त करने के साधन के रूप में शांति और हिंसा दोनों के पैरोकार थे। हालांकि, महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले शांतिपूर्ण आंदोलन ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठित किया। तिब्बती संघर्ष महात्मा गांधी द्वारा समर्थित और परम पावन दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के नेतृत्व वाले शांतिपूर्ण मार्ग पर आधारित है। चीनी कब्जे के तहत तिब्बत के अंदर तिब्बतियों का तीव्र दमन हो रहा है, जिससे उन्हें तिब्बत मुद्दे की पैरोकारी करने के लिए अपने स्वयं का जीवन देकर आत्मदाह करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।’
भारत ने स्वतंत्रता हासिल की और भारतीयों को आजादी की स्वर्णिम रोशनी में जगमगाने का अवसर प्राप्त हुआ। इसी तरह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया भर के कई देशों ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की। जब दुनिया के बाकी देश स्वतंत्रता प्राप्त कर रहे थे, दुर्भाग्य से इसी दौर में तिब्बत पर चीन द्वारा आक्रमण किया गया। उन्होंने आग्रह किया कि भविष्य में स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए मैं तिब्बत के अंदर और बाहर रहनेवाले तिब्बतियों से पूरे दिल से खुद को समर्पित होने का आग्रह करता हूं।’
सीसीपी द्वारा तथाकथित ‘तिब्बत मुक्ति दिवस’ की ७०वीं वर्षगांठ के हालिया उत्सव के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में सिक्योंग ने कहा कि जिसे चीन ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाता है, वह हम तिब्बतियों के लिए ‘कब्जे और उत्पीड़न’ की वर्षगांठ है।’
स्टेट काउंसिल ने हाल ही में चीन के अंदर मानवाधिकार की स्थिति और विशेष रूप से अल्पसंख्यक क्षेत्रों में विकास की स्थिति पर एक श्वेत पत्र प्रकाशित किया। यह रिपोर्ट केवल सीसीपी के तहत हुई प्रगति को दिखाती है। जबकि दुनिया के अन्य हिस्सों में लोगों द्वारा प्राप्त किए गए अहस्तांतरणीय मौलिक अधिकार, जिनकी सरकारों को रक्षा करनी चाहिए, को इस श्वेत पत्र में बट्टे खाते में डाल दिया गया है। इसलिए, यह स्पष्ट है कि यह रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं है। तिब्बत और चीनी कब्जे वाले अन्य क्षेत्रों में मानवाधिकारों का उल्लंघन अभी भी जारी है। तिब्बत की मुक्ति के सीसीपी के दावों से सवाल उठता है- तिब्बत को किससे या किस तरह से मुक्त कराया गया था? सिक्योंग ने कहा कि मुक्ति की बजाय तिब्बती पिछले ७० वर्षों से तड़प रहे हैं और यह उत्सव का कोई औचित्य नहीं है।