विल्नियस। लातविया में सरकारी और गैर-सरकारी समूहों के बीच सफलतापूर्वक अपना पक्ष रखने के बाद सिक्योंग पेन्पा छेरिंग के नेतृत्व में तिब्बती प्रतिनिधिमंडल कल ३० जनवरी को लिथुआनिया के विल्नियस पहुंचा। लिथुआनियाई तिब्बत समर्थक समूह के अध्यक्ष विटिस विल्डुनास ने हवाई अड्डे पर तिब्बती प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।
बाल्टिक देशों और फ़िनलैंड की अपनी पहली यात्रा के दौरान सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने इन देशों में सरकार, राजनेताओं और नागरिक समाज को साक्ष्य-आधारित प्रकाशित स्रोतों के बारे में जानकारी दी (तिब्बत ब्रीफ २०/२०, प्राचीन काल से तिब्बत कभी भी चीन का हिस्सा नहीं रहा है, यह छिपा हुआ एजेंडा है)। यह तिब्बत की ऐतिहासिक रूप से स्वतंत्र स्थिति को साबित करता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासनकाल के तहत कम्युनिस्ट चीनी सरकार यूरोप के लिए दीर्घकालिक खतरे की घंटी है। हालांकि रूस पर चीन का खतरा तत्काल मंडरा रहा है।
सिक्योंग पेन्पा छेरिंग ने तिब्बत के लिए समर्थन की अपील और तिब्बत-चीन संघर्ष के अंतरराष्ट्रीय निहितार्थों के बारे में जागरूक करते हुए यूक्रेन के लिए बाल्टिक लोगों की सार्वजनिक और उचित सहानुभूति के बीच विरोधाभासों को रेखांकित किया। असल में, इन देशों के व्यापारिक संबंध और व्यापार सौदे अप्रत्यक्ष रूप से रूस की आक्रामकता को मजबूत करते हैं। यूक्रेन पर बाल्टिक देशों के व्यापार घाटे (निर्यात मूल्य पर अतिरिक्त आयात) से चीन को लाभ होता है क्योंकि इससे चीन को विदेशी मुद्रा मिलता है जिसका उपयोग पीआरसी द्वारा रूस से गैस और अन्य सामान खरीदने के लिए किया जाता है। इस तरह से रूसी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में मदद मिलती है। इस तरह से रूस (अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंध से आर्थिक नुकसान को दरकिनार कर देता है) और इस तरह रूस को यूक्रेन पर अपनी आक्रामकता जारी रखने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन मिलता रहता है।
माननीय सिक्योंग ने कम्युनिस्ट यूएसएसआर के शासन के प्रत्यक्ष अनुभव के बावजूद लातवियाई सांसदों द्वारा चीन सरकार द्वारा प्रायोजित चीन की हालिया मुफ्त अनौपचारिक निजी यात्रा के खोखलेपन और भोलेपन का भी विश्लेषण किया। ऐसी मुफ्त यात्राएं चीन में समाजवादी स्वर्ग की कहानिया गढ़ने में सहायक सिद्ध होती हैं। उन्होंने दावा किया कि पीआरसी-नियंत्रित क्षेत्रों में ‘शासक और शासित’ के बीच की असली अग्निपरीक्षा तिब्बत और पूर्वी तुर्किस्तान की स्वतंत्र, निगरानी से मुक्त खुली यात्राओं की अनुमति देने से हो जाएगी। इसमें ध्यान देने की बात है कि चीन द्वारा मित्र देशों के लिए केवल वीज़ा-मुक्त १५-दिवसीय यात्रा की बात नहीं होनी चाहिए। सिक्योंग की स्पष्ट चर्चाओं और तीखी टिप्पणियों की कई लोगों ने सराहना की। सिक्योंग ने यहां कोविड महामारी, यूक्रेन-रूस युद्ध, ऋण कूटनीति के बाद चीन की प्रेरणाओं के प्रति ‘असभ्य जागृति’ की बात की। लोगों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ किसी भी आह्वान के प्रति पीआरसी के अधिकारियों के असम्मानजनक आक्रामक रवैये और लोकतांत्रिक देशों में कानून के शासन और मिलने की स्वतंत्रता के लिए कोई स्थान नहीं होने के बारे में भी बात की। मिलने की यह स्वतंत्रता किसी के साथ नहीं है, चाहे वह तिब्बती हों, उग्यूर, ताइवानी, हांगकांगवासी, दक्षिणी मंगोलियाई या मंचूरियन हों।
बैठकों के अलावा विल्नियस के एजेंडे में विल्नियस के तिब्बत स्क्वायर की यात्रा भी शामिल है। तिब्बत स्क्वायर तिब्बत से संबंधित सार्वजनिक कार्यक्रमों, जैसे- तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति, परम पावन १४वें दलाई लामा के जन्मदिन आदि के स्मरणोत्सव के लिए एक मील का पत्थर बन गया है।