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नवंबर में विरोध- प्रदर्शन करनेवाले सात तिब्बतियों की गिरफ्तारी के बाद पूर्वी तिब्बत के सेरशुल (चीनीरू शीकू) में कठोर दमन के तहत 30 से अधिक तिब्बती भिक्षुओं और आम लोगों को दो सप्ताह तक कैद में रखा गया।
ड्जा वोन्पो मठ के एक पूर्व भिक्षु और अब निर्वासन में रह रहे जोम्पा योंटेन द्वारा जुटाई गई नई जानकारी के अनुसार 30 से अधिक स्थानीय लोगों को 21 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच शहर के हिरासत केंद्र में रखा गया था।
हिरासत में में परिस्थितियाँ बहुतकठोर थीं और तिब्बतियों को खाने के लिए केवल तंम्पा (भुना हुआ जौ का आटा) दिया जाता था।
उसी स्रोत के अनुसार, हिरासत में लिए गए तिब्बतियों को दलाई लामा की तस्वीरें पास में रखने, तिब्बत के बाहर तिब्बतियों के साथ संपर्क रखने और अधिकारियों के प्रति असहिष्णु रवैये का प्रदर्शन करने जैसे आरोपों के कारण पुलिस ने संदेह के तहत गिरफ्तार किया था।
उसी दमन की निरंतरता में ड्जा वोन्पो मठ में भिक्षुओं को दो सप्ताह तक हर दिन कम्युनिस्ट पार्टी के वैचारिक ‘शिक्षा’ सत्र में भाग लेना अनिवार्य किया गया था।
इस विरोध प्रदर्शन के बाद चीनी दंगा निरोधक पुलिस बल ने लोगों में दहशत पैदा करने के लिए सिचुआन प्रांत के कार्देज (गंजी) तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर के शहर में सैन्य अभ्यास आयोजित किया।
सूत्रों के अनुसार, स्थानीय लोगों के घरों की तलाशी ली गई और अधिकारियों ने उनके सेलफोन की जांच की। साथ ही बड़ी संख्या में लोगों से पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने पूछताछ की।
शहर के तिब्बतियों को भी अधिकारियों द्वारा चेतावनी दी गई थी कि वे भविष्य में किसी भी ‘राजनीतिक’ गतिविधियों में शामिल न हों। यह राजनीतिक गतिविधि एक ऐसा पारिभाषिक शब्द है जिसे अधिकारी अपनी अनुकूलता के अनुसार परिभाषित कर लेते हैं।