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जिनेवा। पिछले दो दिनों यानी १५-१६ फरवरी २०२३ के दौरान संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की समिति ने तीसरी बार चीन द्वारा नियमों के कार्यान्वयन किए जाने की समीक्षा की। संयुक्त राष्ट्र समिति के सदस्यों ने तिब्बतियों, उग्यूरों, मंगोलियाई और अन्य लोगों को जबरन आत्मसात करने के लिए मजबूर करने वाली एकत्ववादी नीतियों के साथ-साथ तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान (चीनी: झिंझियांग), हांगकांग, मकाऊ और मुख्य भूमि चीन में किए जा रहे अधिकारों के व्यापक उल्लंघन पर चीन से सवाल किया है।
संयुक्त राष्ट्र समिति के अध्यक्ष मोहम्मद एज़ेल्डिन अब्देल-मोनीम ने समीक्षा-सत्र की अध्यक्षता की। समीक्षा करने वाली टास्क फोर्स में कंट्री रिपोर्टियर माइकल विंडफुहर, लुडोविक हेनेबेल, प्रीति सरन और असरफ अली काउन्हे शामिल थे। ३९ सदस्यों के चीनी सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में चीन के राजदूत और स्विट्जरलैंड में अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में चीन के स्थायी प्रतिनिधि चेन जू ने किया।
संयुक्त राष्ट्र समिति के सदस्यों ने तिब्बतियों, उग्यूरों और दक्षिणी मंगोलियाई लोगों के खिलाफ चीन द्वारा लागू की गई एकत्ववादी- एकजातीय नीतियों पर बार-बार चीन से सवाल किया और कहा कि चीन की ये नीतियां स्पष्ट रूप से प्रतिकूल हैं और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करती हैं। संयुक्त राष्ट्र समिति ने तिब्बत से संबंधित व्यापक विषयों पर चीन से सवाल किया। इनमें तिब्बती मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न, तिब्बती खानाबदोशों का जबरन पुनर्वास, समायोजन और तिब्बतियों को उनकी भूमि से बड़े पैमाने पर विस्थापन, दानवाकार बांधों के निर्माण से पहले तिब्बतियों की जबरन सहमति प्राप्त करना, तिब्बत में जबरन श्रम, श्रम बाजारों में तिब्बतियों से भेदभाव, कार्यस्थल पर धर्म की स्वतंत्रता, तिब्बतियों के लिए शिक्षा में असमानता, आवासीय स्कूलों में लगभग १० लाख तिब्बती बच्चों का जबरन नामांकन, तिब्बतियों के भाषा अधिकार, तिब्बतियों द्वारा स्वतंत्र रूप से अपने धर्म का पालन करने का अधिकार (जिसमें प्रार्थना झंडे और पवित्र तीर्थों की परिक्रमा यानी कोरा शामिल है), और धार्मिक स्थलों का बड़े पैमाने पर विनाश, पुनर्जन्म के तिब्बती बौद्ध परंपरा को नियंत्रित करने के उपाय आदि शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र समिति के सदस्यों द्वारा डेटा और स्पष्टीकरण मांगने के विशिष्ट और बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्नों के बावजूद चीनी प्रतिनिधिमंडल संतोषजनक उत्तर देने में विफल रहा। चीनी प्रतिनिधिमंडल ने या तो सभी आरोपों का खंडन किया या अपने पक्ष में बयान दिए। प्रतिनिधिमंडल के जवाब देने की असंतोषजनक प्रवृत्ति से चिढ़कर समिति के सदस्यों में से एक ने टिप्पणी की कि यदि चीनी प्रतिनिधिमंडल उल्लंघन के पुख्ता आरोपों को ‘निराधार’ मानता है तो उसे जांच का विवरण प्रदान करना चाहिए, जिसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है।
तिब्बत ब्यूरो जिनेवा, इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत और तिब्बत एडवोकेसी गठबंधन के सदस्यों ने समीक्षा- सत्र में भाग लिया। तिब्बत ब्यूरो जिनेवा के प्रतिनिधि थिनले चुएक्यी ने सभी प्रमुख क्षेत्रों को छूते हुए चीन की विस्तृत समीक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र समिति के सदस्यों को धन्यवाद दिया और कहा, ‘समीक्षा मानवाधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए समिति के सदस्यों और सचिवालय के समर्पण और जुनून को दर्शाती है।‘
प्रतिनिधि थिनले चुएक्यी ने टिप्पणी की ‘तिब्बत में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन जगजाहिर है और इसके बावजूद चीन बार-बार समीक्षा में सबूतों से इनकार करता है। समय आ गया है कि तिब्बत में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के लिए चीन को जवाबदेह ठहराया जाए। उन्होंने कहा, समिति बैठक का समापन करते हुए हम आशा करते हैं कि चीन अपनी नीतियों पर आत्मनिरीक्षण करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि तिब्बती, उग्यूर, दक्षिणी मंगोलियाई, हांगकांग और मकाऊ के लोगों को वास्तविक सार्वभौमिक मानवाधिकारों की गारंटी दी जाए।