जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र संधि निकाय के हाल ही में समाप्त हुए ८५वें सत्र के दौरान संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ समिति- महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के उन्मूलन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (सीईडीएडब्ल्यू)- ने चीन से तिब्बत में भेदभाव और बाधाओं का सामना कर रहीं तिब्बती महिलाएं समेत सभी महिलाओं के खिलाफ भेदभाव पर रोक लगाने को सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र संधि निकाय द्वारा समीक्षा की स्थापित कार्यवाही के अनुसार सीईडीएडब्ल्यू का सत्र ०८ मई को शुरू हुआ और २६ मई २०२३ को समाप्त हुआ। इस दौरान १२ मई २०२३ को समिति द्वारा चीन की नौवीं आवधिक रिपोर्ट की समीक्षा की गई।
३० मई २०२३ को प्रकाशित समिति की समापन अवलोकन रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र समिति ने तिब्बत में तिब्बती महिलाओं के जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर कई तरह की चिंताएं उठाईं, जिनमें न्याय मिलने में बाधाएं, स्कूल बंदी, अनिवार्य आवासीय विद्यालय, तिब्बती भाषा में शिक्षा से इनकार, पासपोर्ट की जब्ती, जबरन मजदूरी और जबरन विवाह, तिब्बती महिलाओं की भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को कमतर करके आंकना शामिल हैं।
श्रमिकों के जबरन स्थानांतरण और तथाकथित व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर समिति ‘चिंतित रहती है’, जिसके तहत तिब्बती महिलाओं को उनके अद्वितीय कौशल से हटाकर कम-कुशल कार्यों के लिए प्रशिक्षित होने के लिए मजबूर किया जाता है। समिति ने इस बारे में चिंता जताते हुए चीन से तिब्बत में अनिच्छुक श्रमिकों के स्थानांतरण और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को तुरंत रोकने और प्रभावित तिब्बती महिलाओं के साथ सार्थक परामर्श करने का आह्वान किया। इसके अलावा, समिति ने चीन से तिब्बती महिलाओं की सांस्कृतिक पहचान का सम्मान, संरक्षण और प्रचार करने और तिब्बती महिलाओं सहित जातीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों से संबंधित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के ‘अन्तर्विभाजक’ रूपों को खत्म करने का आग्रह किया।
तिब्बत में स्कूलों को जबरन बंद करने और आवासीय स्कूलों में अनिवार्य रूप से दाखिला दिलाने की खबरों पर प्रकाश डालते हुए समिति ने चीन से तिब्बती लड़कियों पर थोपी गई आवासीय स्कूल प्रणाली को खत्म करने और निजी तिब्बती स्कूलों की स्थापना और सब्सिडी देकर तिब्बती भाषा में शिक्षा देने का आह्वान किया। इसके अलावा, तिब्बतियों से पासपोर्ट जब्त करने की रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए समिति ने चीन को यह सुनिश्चित करने की सिफारिश की कि नस्लीय रूप से अल्पसंख्यक तिब्बतियों के पासपोर्ट जब्त नहीं किए जाएं और पासपोर्ट को जब्त करने में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का मनमाने ढंग से उपयोग न किया जाए। कई न्यायाधीशों द्वारा न्याय देने में लैंगिक पूर्वाग्रह पालने के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र समिति ने तिब्बती महिलाओं सहित सभी वंचित महिला समूहों द्वारा न्याय पाने में आर्थिक और भाषाई बाधाओं का मुद्दा उठाया।
समिति की पिछली सिफारिश को दोहराते हुए चीन को महिलाओं के खिलाफ भेदभाव की एक व्यापक परिभाषा अपनाने के लिए कहा गया है, जो स्पष्ट रूप से सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। समिति ने उचित प्रवर्तन तंत्र और प्रतिबंधों के माध्यम से तिब्बती महिलाओं सहित सभी महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के निषेध के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए चीन से आह्वान किया।
सीईडीएडब्ल्यू की समापन अवलोकन रिपोर्ट का स्वागत करते हुए प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने अपने जनादेश को बरकरार रखने के लिए समिति को धन्यवाद दिया। प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने कहा, ‘तिब्बत पर समिति द्वारा चीनी सरकार को की गई मजबूत और ठोस टिप्पणियां और सिफारिशें चीन की भेदभावपूर्ण नीतियों और प्रथाओं के तहत तिब्बती महिलाओं के सामने आने वाली गंभीर स्थिति और चुनौतियों को दर्शाती हैं। इसी तरह, समीक्षा को सफल और सार्थक बनाने के लिए चीन को अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने और समिति द्वारा की गई सिफारिशों के प्रभावी कार्यान्वयन की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।‘
तिब्बत ब्यूरो-जिनेवा, तिब्बतन वूमन एसोसिएशन-सेंट्रल और तिब्बत एडवोकेसी कोएलिशन सहित तिब्बत समूहों ने पूरी समीक्षा प्रक्रिया में भाग लिया। तीनों समूहों ने अलग-अलग लिखित निवेदन किए और तिब्बत में तिब्बती महिलाओं की स्थिति के बारे में विशेषज्ञों को जानकारी भी दी।