जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र के तीन स्वतंत्र विशेषज्ञों के एक समूह ने ०६ फरवरी को कड़े शब्दों में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में औपनिवेशिक शैली के बोर्डिंग स्कूलों में १० लाख से अधिक तिब्बती बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग करने और तिब्बती संस्कृति को आत्मसात करने की नीति के लिए चीन की कड़ी निंदा की। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए चीनी सरकार के साथ हुई अपनी बातचीत सार्वजनिक की थी।
प्रेस विज्ञप्ति में अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रिपोर्टियर श्री फर्नांड डी. वारेनस, शिक्षा के अधिकार पर विशेष दूत सुश्री फरीदा शाहीद और सांस्कृतिक अधिकार मामले की विशेष दूत सुश्री एलेक्जेंड्रा ज़ांथकी ने संयुक्त रूप से ‘आवासीय विद्यालय प्रणाली के माध्यम से तिब्बती लोगों को सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई रूप से आत्मसात करने’ के उद्देश्य से लागू चीनी नीतियों पर चिंता व्यक्त की। विशेषज्ञों ने चेताया कि करीब दस लाख तिब्बती बच्चे इस नीति से प्रभावित हुए हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि वे ‘तिब्बती बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय प्रणाली’ से परेशान हैं, जो हाल के वर्षों में तिब्बतियों को बहुसंख्यक हान संस्कृति में विलीन करने के उद्देश्य से बड़े पैमाने के कार्यक्रम चलाता हुआ प्रतीत होता है।
चीन के अधीन तिब्बत के बच्चों को तिब्बती भाषा, इतिहास और संस्कृति की जगह मंदारिन भाषा में अनिवार्य शिक्षा देने के पाठ्यक्रम का वर्णन करते हुए संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा, ‘इसका परिणाम यह हुआ है कि तिब्बती बच्चे अपनी मूल भाषा से अनभिज्ञ हो रहे हैं। तिब्बती भाषा में अपने माता-पिता और दादा-दादी के साथ आसानी से बात करने की उनकी क्षमता नष्ट हो रही है और इससे उनकी पहचान पर संकट मंडरा रहा है जो उन्हें हान संस्कृति में विलीन होने की ओर ले जाता है।
विशेषज्ञों ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि तिब्बत में आवासीय विद्यालयों की संख्या चीन के अन्य क्षेत्रों की तुलना में बहुत अधिक है और यह हाल के वर्षों में बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा कि तिब्बती आबादी वाले क्षेत्रों में ग्रामीण स्कूलों को जबरन बंद करने और टाउनशिप या राष्ट्रीय स्तर के स्कूलों में बदले जाने की घटनाएं बढ़ी हैं। असल में टाउनशिप या राष्ट्रीय स्तर के स्कूल विशेष रूप से शिक्षण और संचार में चीनी भाषा का उपयोग करते हैं। इस कारण भी तिब्बत में आवासीय स्कूलों की संख्या बढ़ी है।
विशेषज्ञों ने तिब्बती शिक्षण, धार्मिक और भाषाई संस्थानों के खिलाफ शृंखलाबद्ध दमनकारी कार्रवाइयों के माध्यम से तिब्बती सांस्कृतिक पहचान को हान वर्चस्व वाले चीनी बहुमत में ‘जबरन विलीन’ करने की चीनी नीति पर चिंता व्यक्त की। विशेषज्ञों ने तिब्बती भाषा और शिक्षा की वकालत करने वाले तिब्बती कार्यकर्ताओं के प्रति चीन के अनवरत उत्पीड़न पर भी ध्यान आकृष्ट किया। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा कि वे नवंबर २०२२ में चीन के साथ किए गए संवाद में उठाए गए उपर्युक्त मुद्दों के संबंध में चीनी अधिकारियों के संपर्क में हैं।
प्रतिनिधि थिनले चुएक्यी ने कहा कि ‘यह तिब्बत पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों द्वारा जारी पहली प्रेस विज्ञप्ति में से एक है। इसमें तिब्बत में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का विवरण दिया गया है और हम आशा करते हैं कि तिब्बत में गंभीर स्थिति को देखते हुए कई लोग इसी तरह की प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने बताया कि तिब्बत दुनिया में सबसे कम आजाद क्षेत्र है। जैसा कि विशेषज्ञों ने उल्लेख किया है कि भले ही चीन के अन्य हिस्सों में कई आवासीय विद्यालय हैं, लेकिन तिब्बत में उनकी संख्या बहुत अधिक है। यह तिब्बती भाषा, संस्कृति और धर्म को नष्ट करने के चीन के ठोस और व्यवस्थित प्रयासों की ओर इशारा करता है। हम विशेषज्ञों से आह्वान करते हैं कि वे चीन के साथ बातचीत कर इन तथाकथित आवासीय विद्यालयों को बंद करने और इसके बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए दबाव डालें।