सेवतिब्बत.आर्ग, 6 नवंबर, 2018
चीनी सरकार ने जिनेवा, स्विट्जरलैंड में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अपने रिकॉर्ड की वैश्विक आवधिक समीक्षा के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से आक्रामक रूप से इनकार किया।
चीन के झूठे दावों के बावजूद, कई देशों ने अन्य गंभीर चिंताओं के बीच चीन द्वारा तिब्बत और झिंझियांग में मौलिक आजादी के व्यवस्थित दुरुपयोग को इंगित बताया।
इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत की संयुक्त राष्ट्र में पक्ष रखने वाली टीम के प्रमुख और इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत के जर्मनी के कार्यकारी निदेशक काई मुलर ने कहा, ‘इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत आज की संयुक्त राष्ट्र की सुनवाई के दौरान चीन सरकार की प्रतिक्रियाओं से बहुत चिंतित है।’ ‘यह हर किसी के लिए स्पष्ट होना चाहिए कि यह अभियान केवल तिब्बतियों, उइगर या चीनी मानवाधिकार के रक्षकों के अधिकारों के बारे में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के सामने चीनी प्रणाली के बारे में बताना है, जो स्पष्ट रूप से मानवाधिकारों और कानून के शासन का उल्लंघन करता है।’
कई पश्चिमी देशों [1], जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया ने तिब्बत के बारे में विशिष्ट चिंताओं को उठाया और धार्मिक स्वतंत्रता, विदेशी नागरिकों और मानवाधिकार पर्यवेक्षकों द्वारा वहां पहुंच देने और भाषा अधिकार कार्यकर्ता ताशी वांगचुक की रिहाई के लिए आह्वान किया। वांगचुक को न्यूयॉर्क टाइम्स के एक वीडियो में दिखाई देने के बाद पांच साल की सजा सुनाई गई थी। पश्चिमी देशों झिंझियांग में स्थितियों के बारे में भी बताया।
हालांकि, चीनी प्रतिनिधिमंडल ने बेतुका दावा किया कि चिंताएं तथ्यों पर आधारित नहीं हैं ‘और इसलिए पूर्वाग्रह और खेद से भरा है।’ इसके अलावा, चीनी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वह ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप’ स्वीकार नहीं करेगा और अपने दावे को दोहराया कि चीन विकास एक अलग रास्ता अपना रहा है। असल में चीन के इस विकास को एक ऐसे मार्ग के रूप में समझा जा सकता है जो मानव अधिकारों की सार्वभौमिकता की अवहेलना करता है।
म्यूलर ने कहा कि ‘यह देखना विशेष रूप से चिंताजनक था कि उपर से नीचे तक सत्तावादी चीनी विकास कथा न केवल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा बिना चुनौती दिए ही छोड़ दी गई बल्कि यहां तक कि कई देशों ने इसका प्रचार भी किया। उदाहरण के लिए, दक्षिण अफ्रीका ने चीनी सरकार की “जन केंद्रित विकास के वैश्विक नेता” के रूप में प्रशंसा की। उसने ऐसा करते समय इस तथ्य की उपेक्षा की कि लाखों तिब्बती चरवाहों और खानाबदोशों को उनके घास के मैदानों से हटा दिया गया है और वर्षों से चीनी नीतियों द्वारा उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।’
‘इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि वह चीन के भयावह मानवाधिकारों के रिकॉर्ड को चुनौती दे और उसे नया नियामक बनने से रोके।’ म्यूचलर ने कहा कि ‘जिन लोगों ने जिनेवा में वैश्विक सावधिक समीक्षा के दौरान चीन की आज की समीक्षा देखी, उन्हें समझना चाहिए कि दाव पर अब क्या लगा हुआ है।’