tibet.net / जिनेवा। आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की इस साल फरवरी के मध्य में आयोजित अधिवेशन की सिफारिशों का चीन द्वारा कार्यान्वयन की तीसरे दौर की समीक्षा के बाद संयुक्त राष्ट्र समिति ने आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट को जारी कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र समिति ने चीन द्वारा तिब्बत, झिंझियांग, हांगकांग, मकाऊ और मुख्य भूमि चीन में भी अधिवेशन द्वारा निर्धारित दायित्वों के कार्यान्वयन में व्यापक उल्लंघन का उल्लेख किया है।
तिब्बती खानाबदोशों और छोटे किसानों का जबरन पुनर्वास और पुनर्स्थापन :
विशेषज्ञों ने खानाबदोश चरवाहों, विशेष रूप से तिब्बती चरवाहों के पुनर्वास के बारे में चिंता व्यक्त की है। यह पुनर्वासराज्य पार्टी में उचित परामर्श के बिना और ज्यादातर मामलों में मनमाने ढंग से, पूर्व सूचना दिए बिना और सहमति के बिना हो रहा है। इसी तरह छोटे किसान को उनकी संपत्ति के एवज में दिया जानेवाला मुआवजा पर्याप्त जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए अक्सर अपर्याप्त होते हैं। इन छोटे किसानों की पारंपरिक भूमि और आजीविका खत्म हो गई है और इनका जीवन यापन गरीबी उन्मूलन योजनाओं और पारिस्थितिकीय बहाली पुनर्वास उपायों के भरोसे रह गए हैं।संयुक्त राष्ट्र समिति ने सिफारिश की है कि चीन ऐसे सभी जबरन पुनर्वास और पुनर्स्थापन कार्यक्रमों को तुरंत रोक दे और पूर्ण, पर्याप्त और समय पर मुआवजे के साथ अन्य विकल्पों का पता लगाने के लिए उनके साथ सार्थक परामर्श करे।
श्रमिकों की स्थिति
तिब्बत में खराब कामकाजी परिस्थितियों, कार्यस्थल पर उत्पीड़न और श्रम कानूनों के क्रियान्वयन की जांच के लिए श्रम निरीक्षण तंत्र की कमी के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र समिति ने चीन से सिफारिश की है कि वह तिब्बत में उल्लंघनकर्ता कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए श्रम निरीक्षण और स्वतंत्र ऑडिट संस्थाओं के लिए आवश्यक संसाधन सुनिश्चित करे।
सांस्कृतिक और भाषाई अधिकार:
संयुक्त राष्ट्र समिति ने तिब्बती भाषा, इतिहास और संस्कृति का उपयोग करने और पढ़ाने के अधिकार सहित तिब्बतियों द्वारा सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने के अधिकार पर प्रतिबंधों के बारे में अपनी चिंताओं को नोट किया है। इसके अलावा, इसने तिब्बती भाषा में शिक्षा देने वाले स्कूलों को बंद करने पर प्रकाश डाला है। इसके अलावा सत्ताधारी पार्टी द्वारा आत्मसात नीति के माध्यम से तिब्बती संस्कृति और भाषा को मिटाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया। तिब्बती बच्चों पर चीनी स्कूली व्यवस्था थोपी गई है। इसे चीनीकरण करने के तौर पर देखा जा रहा है।
तदनुसार, संयुक्त राष्ट्र समिति ने चीन से अनिवार्य आवासीय विद्यालय प्रणाली को समाप्त करने और निजी तिब्बती स्कूलों की स्थापना की अनुमति देने का आह्वान किया है। इसके अलावा, इसने चीन को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने की सिफारिश की है कि तिब्बती सांस्कृतिक जीवन, पहचान और साधना के अपने अधिकार और तिब्बती भाषा का पूरी तरह से उपयोग कर सकें।
धार्मिक स्वतंत्रता:
संयुक्त राष्ट्र समिति ने धार्मिक रीति-रिवाजों पर तेजी से सख्ती और तिब्बत में मठों सहित धार्मिक स्थलों के व्यवस्थित और बड़े पैमाने पर विनाश के बारे में अपनी चिंताओं को नोट किया है। समिति ने सिफारिश की है कि चीन ‘सांस्कृतिक विविधता और तिब्बतियों की सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और विरासत की रक्षा’के लिए पर्याप्त उपाय करे जिसमें धार्मिक स्थलों की रक्षा और पुनर्स्थापना शामिल है।‘
जिनेवा स्थित तिब्बत ब्यूरो ने समीक्षा में भाग लिया और रिपोर्ट प्रस्तुत की। समापन टिप्पणियों का स्वागत करते हुए प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने उल्लेख किया है कि ‘चीनी सरकार द्वारा तिब्बत में विशेष रूप से आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के संदर्भ में व्यापक मानवाधिकारों के उल्लंघन को संयुक्त राष्ट्र समिति के सदस्यों द्वारा स्पष्ट रूप से नोट किया गया है। हमें पूरी उम्मीद है कि चीनी सरकार संयुक्त राष्ट्र निकाय द्वारा अनुशंसित सुधारात्मक कार्रवाई करेगी। संयुक्त राष्ट्र के निकाय को यह सुनिश्चित करने के लिए समय पर हस्तक्षेप करना चाहिए कि इसकी सिफारिशों को ठंडे बस्ते में नहीं डाला जाए बल्कि चीनी सरकार द्वारा इसे सार्थक रूप से लागू किया जाए।‘