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२८ सितंबर, २०२१
जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के चल रहे ४८वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के एक समूह ने चीन से तिब्बत में मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया।
२६ सदस्य देशों की ओर से डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड, स्वीडन, स्विटजरलैंड, अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने चिंता व्यक्त की और चीन से तिब्बत, झिंझियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया है।
अमेरिका ने मानवाधिकार की स्थिति पर एक बयान में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का ध्यान आकृष्ट करते हुए चीन द्वारा आर्थिक शोषण, प्रणालीगत नस्लीय संहार और सांस्कृतिक विरासत के विनाश सहित मानवाधिकारों के हनन की कड़ी निंदा की। तिब्बत में धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक परंपराओं पर चीन के गंभीर प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका चिंतित रहता है।
फ्रांस ने २६ सदस्य देशों की ओर से यूरोपीय संघ का बयान पढ़ा। यूरोपीय संघ ने चीन से मानवाधिकारों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करने के लिए कहा, जिसमें अल्पसंख्यकों विशेष रूप से तिब्बत, झिंझियांग और आंतरिक मंगोलिया से संबंधित व्यक्तियों के अधिकार शामिल हैं।
डेनमार्क ने तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टों के बारे में अपनी ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की। प्रतिनिधि ने उच्चायुक्त और अन्य स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की वहां सार्थक पहुंच प्रदान करने के लिए चीन से आह्वान को दोहराया। इसी चिंता को व्यक्त करते हुए जर्मन प्रतिनिधि ने कहा कि जर्मनी तिब्बत में चीन द्वारा व्यवस्थित मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में ‘गंभीर रूप से चिंतित’ है।
नीदरलैंड किंगडम ने चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में गंभीर चिंताओं को प्रकट किया, जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध और तिब्बत में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध शामिल है। स्विट्जरलैंड ने चीन द्वारा अल्पसंख्यकों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखने की निंदा की और चीन से तिब्बती लोगों के अधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया। इसी तरह, स्वीडन के प्रतिनिधि ने तिब्बत सहित अल्पसंख्यकों, मानवाधिकार रक्षकों और मीडिया कर्मियों को निशाना बनाकर चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की।
इंग्लैंड, फ़िनलैंड और नॉर्वे के प्रतिनिधियों ने भी चीन द्वारा मानवाधिकारों के व्यवस्थित उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की है।