tibet.net / २८ अप्रैल, २०२३
जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र के छह विशेषज्ञों के एक समूह ने संयुक्त रूप से २७ अप्रैल २०२३ को एक प्रेस विज्ञप्ति में चीन द्वारा तिब्बत में चलाए जा रहे तथाकथित ‘व्यावसायिक प्रशिक्षण’ और जबरन श्रमिक स्थानांतरण कार्यक्रमों पर चिंता व्यक्त की। इस मामले को लेकर समूह ने चीनी सरकार को संयुक्त पत्र भेजा है।
विशेषज्ञों ने कहा कि इन कार्यक्रमों का इस्तेमाल ‘तिब्बती धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को कमजोर करने, तिब्बतियों की निगरानी करने और राजनीतिक रूप से उन्हें उकसाने के लिए बहाने के रूप में किया जा रहा है’। विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी थी कि इस तरह के कार्यक्रमों से जबरन श्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा कि २०१५ के बाद से हजारों तिब्बतियों को उनके पारंपरिक रूप से स्थापित जीवन चर्या से जबरन कम-कुशल और कम वेतन वाले श्रमिक के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया है। ‘कार्यक्रम को स्वैच्छिक बताया गया है, लेकिन व्यवहार में यह जबरन थोपी गई प्रतीत होती है।’
विशेषज्ञों ने कहा कि श्रमिक स्थानांतरण कार्यक्रम तथा कथित व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों को एक नेटवर्क द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो पेशेवर कौशल विकसित करने पर कम ध्यान केंद्रित करते हैं, जबिक सैन्यीकृत वातावरण में सांस्कृतिक और राजनीतिक सिद्धांतों पर अधिक जोर डालते हैं। इसके अलावा, विशेषज्ञों ने इस मु्द्दे का विशेष रूप से उल्लेख किया कि कार्यक्रम में तिब्बतियों को तिब्बती भाषा का उपयोग करने से रोक दिया गया है और उनकी धार्मिक पहचान की अभिव्यक्ति के किसी भी रूप से मना किया गया है। इन दोनों को ‘अधिकारियों द्वारा गरीबी उन्मूलन में बाधा’ के रूप में देखा जाता है।
चीन का दावा है कि तथाकथित व्यावसायिक प्रशिक्षण और श्रमिक स्थानांतरण जीवन स्थितियों में सुधार पर केंद्रित है। जबकि, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने स्पष्ट रूप से अंतर्निहित मुद्दों का विस्तृत विवरण दिया है कि कार्यक्रम ‘तिब्बतियों को और अधिक गरीबी को ओर ढकेलता है और जबरन श्रमिक बनाने की ओर ले जाता है।’
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने चीन से आह्वान किया कि वह तिब्बतियों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और श्रमिक स्थानांतरण कार्यक्रमों से बाहर निकलने के लिए किए गए उपायों को स्पष्ट करे, तिब्बतियों के रोजगार के नए स्थानों में काम करने की स्थिति की निगरानी करे और तिब्बती धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक पहचान के लिए सम्मान सुनिश्चित करे। विशेषज्ञों ने चीनी सरकार से यह भी आग्रह किया कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के पालन में जबरन श्रम और तस्करी को रोकने के लिए, और इस तरह के अत्याचारों के पीड़ितों के लिए उपचार और मुआवजा सुनिश्चित करने के बारे में किए गए उपायों के बारे में भी स्थिति को स्पष्ट करे।
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ समूह की प्रेस विज्ञप्ति का स्वागत करते हुए तिब्बत ब्यूरो-जिनेवा के प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों को अपने अनुरोध को स्वीकार करने और तिब्बत में स्थिति की बारीकी से निगरानी करने के लिए धन्यवाद दिया। प्रतिनिधि थिनले ने टिप्पणी की, ‘विशेषज्ञों का विस्तृत पत्र और जबरन श्रम पर प्रेस विज्ञप्ति जिसमें तिब्बतियों को कम-कुशल और कम-वेतन वाले काम में ढकेला जाता है, स्पष्ट रूप से चीनी सरकार के ‘तिब्बत में विकास’ के हताश आख्यान को खारिज करता है। यह संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दायित्व बनता है और सदस्य देश ‘तिब्बत में विकास’ विशेष रूप से किसके लिए विकास और किस कीमत पर विकास पर चीन से सवाल कर सकते हैं।’
संयुक्त राष्ट्र के छह विशेषज्ञों के समूह में गुलामी- प्रथा के समकालीन रूपों, इसके कारण और परिणाम पर केंद्रित कार्य करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर टोमोया ओबोकाटा, सांस्कृतिक अधिकार के क्षेत्र में काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर एलेक्जेंड्रा ज़ांथाकी, विकास के अधिकार पर काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर साद अलफरार्गी, अल्पसंख्यक मुद्दों पर काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर फर्नांड डी वेरेनेस, नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, जेनोफोबिया और संबंधित असहिष्णुता के समकालीन रूपों पर काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर के.पी. अश्विनी और लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी पर काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर सियोभान मुल्ली शामिल हैं।‘