११ अप्रैल, २०२३ जिनेवा। तिब्बत में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन, विशेष रूप से व्यापक तौर पर श्रम शोषण से संबंधित गंभीर उल्लंघन पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र के छह विशेषज्ञों के एक समूह ने चीनी सरकार को एक संयुक्त पत्र लिखा है। (एएल सीएचएन १४/२०२२) नंबर वाले ०६ फरवरी २०२३ के इस पत्र को संचार की स्थापित गोपनीयता प्रक्रियाओं के तहत सार्वजनिक किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के समूह ने चीन से तिब्बतियों की स्थिति, विशेष रूप से तिब्बतियों के व्यापक श्रम शोषण से संबंधित स्थिति को ‘स्पष्ट’ करने को कहा है। इसमें जबरन श्रम, जबरन श्रम के उद्देश्य से तस्करी, तिब्बती भाषा- धर्म पालन को हाशिए पर रखना, जीवन यापन के तरीके को नियंत्रित करना और कैदियों को जबरन राजनीतिक सिद्धांत का पाठ पढ़ाना, तिब्बत में विचार, विवेक, राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन आदि से संबंधित कार्रवाई हो सकती है। विशेषज्ञों ने उन परिस्थितियों पर भी ‘गहरी चिंता’ प्रकट की, जिनके तहत तिब्बतियों की राजनीतिक पुनर्शिक्षा हो रही है।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों द्वारा चीन को भेजे गए संयुक्त पत्र में तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में व्यापक श्रमिक स्थानांतरण कार्यक्रम, ग्रामीण श्रमिकों को अकुशल और कम-वेतन वाली औद्योगिक नौकरियों में रखने, कथित तौर पर तिब्बती अल्पसंख्यक भाषाओं, सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और धर्म को मिटाए जाने को लेकर विशेष चिंता प्रकट की गई है। पत्र में कहा गया है कि चीनी सरकार ने खुद पुष्टि की है कि ‘२०१५ से २०२० तक में तिब्बत में २८ लाख से अधिक किसानों और चरवाहों को शहरी क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र से विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में ‘स्थानांतरित’ किया गया, जिसमें अकेले २०२० में ६,००,००० से अधिक स्थानान्तरण शामिल हैं।‘
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने चीन से अन्य बातों के साथ-साथ श्रमिक स्थानांतरण कार्यक्रम से संबंधित जानकारी प्रदान करने का आह्वान किया। इनमें तिब्बत में मौजूदा समय में जबरन श्रमिक स्थानांतरण केंद्रों की संख्या और स्थान, श्रमिक स्थानांतरण कार्यक्रमों के माध्यम से स्थानांतरित विभिन्न नस्लीय तिब्बतियों की संख्या पर अलग-अलग आंकड़े, तथाकथित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित व्यवसाय, तिब्बती भाषा के उपयोग पर लगाए गए प्रतिबंध सहित तिब्बती भाषा का उपयोग और इस भाषा में हो रहे शिक्षण, निर्माण या कपड़ा उद्योग जैसे कम वेतन, और कम कुशल नौकरियों में स्थानांतरित किए जा रहे तिब्बती श्रमिकों को दिए जा रहे विशेष ‘लाभ’ आदि पर भी जानकारी शामिल हैं। इसके अलावा चीन को तिब्बत में सामाजिक स्थिरता के नाम पर ग्रिड प्रबंधन नियंत्रण प्रणाली के बारे में जानकारी प्रकट करने के लिए कहा गया है।
तिब्बत ब्यूरो जिनेवा के प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने संयुक्त पत्र का स्वागत किया है। उन्होंने चीनी शासन के तहत तिब्बतियों की निराशाजनक स्थिति पर ध्यान देने के लिए विशेषज्ञों को धन्यवाद दिया और चीन की सरकार से ‘संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों के पत्र पर स्थापित प्रक्रियाओं का सम्मान और समर्थन करते हुए विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने का आग्रह किया। तिब्बत में चीन द्वारा किए गए गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघनों में व्यापक तौर पर श्रमिकों का जबरन स्थानांतरण कार्यक्रम और तिब्बती भाषा का क्षरण शामिल है। साथ ही तिब्बत में अधिकारों के उल्लंघन की लंबी सूची भी शामिल है।
पत्र जारी करने वाले संयुक्त राष्ट्र के छह विशेषज्ञों के समूह में गुलामी- प्रथा के समकालीन रूपों, इसके कारण और परिणाम पर केंद्रित कार्य करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर टोमोया ओबोकाटा, सांस्कृतिक अधिकार के क्षेत्र में काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर एलेक्जेंड्रा ज़ांथाकी, विकास के अधिकार पर काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर साद अलफरार्गी, अल्पसंख्यक मुद्दों पर काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर फर्नांड डी. वेरेनेस, नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, जेनोफोबिया और संबंधित असहिष्णुता के समकालीन रूपों पर काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर के.पी. अश्विनी और लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी पर काम करनेवाले स्पेशल रिपोर्टियर सियोभान मुल्ली शामिल हैं।‘