tibet.net / धर्मशाला।: तिब्बत-चीन संघर्ष को हल करने की दिशा में अपनी वास्तविक एकजुटता और समर्थन प्रदर्शित करने और तिब्बत के अंदर चीन की दमनकारी नीतियों पर चिंता व्यक्त करने के लिए केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के विशिष्ट अतिथियों ने तिब्बती प्रशासन द्वारा आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बात की। इस प्रेस मीट का आयोजन सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग द्वारा आज १० मार्च की दोपहर तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की ६४वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुलाई गई थी।
इस प्रेस मीट में आने वाले मेहमानों में माननीय मिकुलस पेक्सा के नेतृत्व में चार सदस्यीय यूरोपीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल,माननीय सल्वाडोर कारो कैबरेरा (तिब्बत समर्थक समूह के सदस्य) के नेतृत्व में मेक्सिको का नौ सदस्यीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल और लिथुआनियाई संसद के सदस्य माननीय अरुणस वालिंस्कास शामिल थे।
सिक्योंग ऑडिटोरियम में आयोजित प्रेस मीट को संबोधित करते हुए यूरोपीय संसद के सदस्य माननीय मिकुलस पेक्सा ने सीटीए और धर्मशाला स्थित अन्य तिब्बती संस्थानों में अपने और अपने साथी सांसदों के सामूहिक अनुभवों की जानकारी दी और कहा कि उन्होंने तिब्बती प्रशासन केंद्र के भीतर बहुत अच्छा सहयोग देखा और यहां निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों के साथ अन्य देशों में बसे तिब्बतियों को प्रदान की जाने वाली उत्कृष्ट देखभाल सेवाएं देखी हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और उसके मेजबान देश भारत के बीच सहयोग के बहुत अच्छे संकेत भी देखे हैं।‘
मैक्सिको के नौ सदस्यीय संसदीय शिष्टमंडल का नेतृत्व करने वाले माननीय सल्वाडोर कारो कैबरेरा ने आज १० मार्च की प्रातः परम पावन दलाई लामा के साथ बैठक में मिली अपनी संतुष्टि के बारे में बात की। उन्होंने तर्क दिया कि परम पावन तिब्बत के मुद्दे के लिए उचित और वैध (समाधान) हैं। तिब्बत मुद्दे के समर्थन के एक संकेत के रूप में अपनी धर्मशाला यात्रा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने ‘वन चाइना पॉलिसी (एक चीन नीति)की जोरदार निंदा की जो तिब्बती पहचान को खतरे में डालने का इरादा रखती है। उन्होंने मतभेदों और संघर्षों को हल करने के लिए गारंटीकृत उपाय के रूप में अहिंसा को प्रोत्साहित किया। तिब्बत के अंदर चीन के निरंतर अत्याचारों को समाप्त करने के लिए उन्होंने चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को सुनिश्चित करते हुए इस मुद्दे पर काम करने के लिए मेक्सिको में एक ‘बड़ी टीम’के गठन को भी स्वीकार किया।
प्रतिनिधिमंडल के तीसरे समूह का प्रतिनिधित्व करते हुए लिथुआनियाई संसद के सदस्य माननीय अरुणस वालिंस्कास ने सराहना करते हुए कहा,‘यह देखना वास्तव में आकर्षक है कि निर्वासन में तिब्बती लोगों ने कई चुनौतियों के बावजूद खुद को संगठित रखने और अपने लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए बहुत कुछ किया है।‘उन्होंने आश्वस्त किया कि लिथुआनिया में तिब्बत मुद्दे को समर्थन देनेवाले अनेक संसदीय और गैर-संसदीय समूहों, गैर-सरकारी संगठनों और बुद्धिजीवियों के अनेक समूह सक्रिय है। लिथुआनियाइयों और तिब्बतियों के बीच के संबंध को ‘दिलचस्प’लेकिन ‘अजीब’बताकर दोनों के बीच की दूरी और अंतर को देखते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि आप (संबंधों) के बारे में गहराई से सोचते हैंतो यह अजीब नहीं लगता है क्योंकि हमारे राष्ट्रों ने इसी तरह के परीक्षणों और क्लेशों का सामना किया हैं।‘उन्होंने आगे कहा,‘उत्पीड़न का शिकार होना हमें समान बनाता है।‘ सभी प्रतिनिधिमंडल के नेताओं के संबोधन के बादवक्ताओं ने संयुक्त प्रेस बैठक में इकट्ठे हुए तिब्बती और भारतीय मीडिया घरानों का प्रतिनिधित्व करने वाले पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया।
परम पावन १४वें दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के हस्तक्षेप पर प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर तीनों ने सर्वसम्मति से चीन के हस्तक्षेप की निंदा की। अरुणस वालिंस्कास ने परम पावन के पुनर्जन्म के मुद्दे को ‘धार्मिक स्वतंत्रता और अंतरात्मा की आवाज के व्यापक सिद्धांतों’के रूप में रेखांकित किया, चाहे वह पुनर्जन्म की मान्यता हो या तिब्बतियों के अपने धर्म का पालन करने का मामला। उसी समय, सल्वाडोर कारो कैबरेरा ने इस मामले पर वैश्विक समुदाय से ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया, जबकि मिकुलस पेक्सा ने परम पावन और सीटीए को वर्तमान दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने के लिए वैध प्राधिकारी बताया।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मीडियाकर्मियों द्वारा यूरोपीय संघ में तिब्बत के लिए एक विशेष समन्वयक नियुक्त करने की संभावना, चीन की घरेलू राजनीति में उलटफेर और तिब्बत और व्यापक दुनिया पर इसके नतीजों के बारे में सवालों के जवाब दिए। उन्होंने तिब्बत और चीन के बीच संवाद होने की स्थिति में उसकी प्रामाणिकता के संबंध में उठाए गए विभिन्न सवालों के भी जवाब दिए। प्रतिनिधिमंडल के तीन प्रतिनिधियों ने भी परम पावन के साथ मुलाकात के अपने-अपने अनुभवों को बताया। इसके साथ ही उन्होंने तिब्बती जनक्रांति दिवस की चौसठवीं वर्षगांठ के अवसर पर आज के आधिकारिक कार्यक्रम में भाग लेकर चीन को दिया जानेवाला संदेश भी दे दिया।