( निर्वासित तिब्बत सरकार की पांच सदस्यीय कमेटी आज देगी रिपोर्ट )
तिब्बती रणनीति से पूर्णत संन्यास लेने के दलाई लामा के फैसले को सोमवार को आधार मिलेगा। इसी के साथ ही निर्वासित तिब्बत सरकार के चार्टर में फेरबदल की प्रमुख कवायद शुरु हो जाएगी। सोमवार को तिब्बती संविधान में संशोधन को लेकर 14 वीं तिब्बती संसद द्वारा गठित पांच सदस्यीय कमेटी अपना कार्य पूरा कर संसदीय कमेटी अपना कार्य पूरा कर संसदीय सचिव के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी । इसके बाद निर्वासित तिब्बत सरकार द्वारा 21 से 23 मई को इस बाबत विशोष महाधिवेश्न बुलाया जाएगा। खबर की पुष्टि करते हुए निर्वासित तिब्बत सरकार के निवर्तमान प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिंपोछे ने बताया कि मई माह में होने वाले इस महाविधवेशन में गैर सरकारी तिब्बती प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित कर उनकी राय भी ली जाएगी। 14 वीं तिब्बती संसद की सर्वसम्मति से गठित इस कमेटी ने अपना काम पूरा कर लिया है । कानूनी एंव संवैधानिक विशोषज्ञों की अहम राय एंव हाल ही में हुई सदन की बहस को ध्यान में रखकर तैयार की गई इस रिपोर्ट में तिब्बती राजनीति में दलाई लामा की विशोष भूमिका को भी मद्देनजर रखा गया है। रिपोर्ट में रखे गए अहम पहलुओं का खुलासा सोमवार को होगा। तिब्बती जनक्रांति दिवस की 52 वीं वर्षगांठ के मौके पर अपनी राजनीतिक शाक्तियों के हस्तांतरण का ऐलान करने के बाद महामहिम दलाई लामा ने गत 14 मार्च को तिब्बत संसद के बजट सत्र में औपचारिक तौर पर अपने राजनीतिक संन्यास की बात रखी थी। हालांकि प्रारंभ में उनकी इस मांग को तिब्बती राजनीतज्ञों ने ठुकरा दिया था। बावजूद इसके दलाई लामा के अटल फैसले ने सदन को अपना फैसला बदलने पर मजबूर कर दिया। लिहाजा तिब्बत चार्टर संशोधन को लेकर गाठित इस पांच सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद भावी रणनीति तय होगी। इस कमेटी में निवर्तमान प्रधानमंत्री प्रो. सामदोंग रिंपोछे सहित संसद स्पीकर पेंपा छिरिंग , डिप्टी स्पीकर डोलमा गैरी , शिक्षा मंत्री थुपतेन लुंगरिक एंव पूर्व स्पीकर पेंपा जुंगनी को शामिल किया गया था । हालांकि इसके बाद 21 से 23 मई तक होने वाला महाधिवेशन भी इस कडी में अहम होगा।
संन्यास पर अमलीजामे को मुहिम।
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