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दिल्ली। तिब्बत के लिए ‘राइड फॉर प्राइड’ के तहत हिमाचल प्रदेश से तमिलनाडु और गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक १९,००० किलोमीटर से अधिक की यात्रा के दौरान भारत के लगभग सभी राज्यों को कवर करने के बाद छेरिंग येशी का बाइक अभियान अंततः १६ फरवरी, २०२२ को दिल्ली में संपन्न हो गया। इस अवसर पर भारत-तिब्बत समन्वय केंद्र दिल्ली द्वारा समन्वित रोहिणी के तिब्बती युवा छात्रावास में एक संक्षिप्त समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) के महासचिव श्री पंकज गोयल सहित तिब्बत समर्थक समूहों (टीएसजी) के सदस्यों ने भाग लिया। इनमें बीटीएसएम दिल्ली के अध्यक्ष श्री अनिल मोंगा, बीटीएसएम के कार्यकारिणी सदस्य श्री राधे श्याम, भारत-तिब्बत संवाद मंच- दिल्ली के अध्यक्ष श्री अभिषेक जैन, आईटीसीओ दिल्ली के समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्ट्रिम और कर्मचारी तथा तिब्बती युवा छात्रावास के छात्र शामिल थे।
समन्वयक जिग्मे त्सुल्ट्रिम ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्रावास के सभी छात्रों और तिब्बत समर्थक समूहों के सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने त्सेरिंग येशी द्वारा २२ मार्च, २०२१ से शुरू किए गए अभियान के बारे में परिचय दिया, जो हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से शुरू होकर पूरे भारत में तिब्बत के बारे में जागरूकता पैदा कर रहा है।
छेरिंग येशी को बाद में तिब्बत समर्थक समूह के सदस्यों और छात्र परिषद, तिब्बती युवा छात्रावास के अध्यक्ष ने ‘हैंड्स ऑफ तिब्बत, कम्युनिस्ट चाइना’ नामक स्मारिका प्रस्तुत कर गौरवान्वित और सम्मानित किया।
श्री पंकज गोयल ने अपने दम पर तिब्बत के लिए अभियान चलाने के लिए त्सेरिंग येशी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि तिब्बत के लिए काम करना प्रत्येक तिब्बतियों का कर्तव्य है और बताया कि जब तक तिब्बत कम्युनिस्ट चीन के बुरे हाथों से मुक्त नहीं हो जाता, वह एक भारतीय होने के नाते तिब्बत के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि तिब्बत की स्वतंत्रता भारत की सुरक्षा है।
श्री अभिषेक जैन ने छेरिंग येशी से मिलकर खुशी का अनुभव किया। उन्होंने कहा कि कोई आपकी भूमि पर कब्जा कर सकता है, लेकिन अगर देश के लिए आपकी भावना आपके अंदर जीवित है, जैसा कि छेरिंग येशी ने अपने काम के माध्यम से दिखाया है, तो वह दूर नहीं है जब आपको अपनी जमीन वापस मिल जाएगी। उन्होंने छात्रों से तिब्बत के लिए भावना को जीवित रखने और अपनी भूमि के लिए लड़ते रहने का आग्रह किया।
छेरिंग येशी ने अपने संबोधन में ‘बाइक राइड’ अभियान के पीछे के उद्देश्य और अपनी अभियान यात्रा के पूरे अनुभव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह अभियान दो कारणों से चलाया गया था। सबसे पहले, परम पावन १४वें दलाई लामा द्वारा पिछले 60 वर्षों से तिब्बत मुद्दा तथा तिब्बती लोगों के प्रति मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद हेतु कृतज्ञता प्रकट करना हैं। दूसरा, तिब्बत मुद्दे की हित के लिए काम करने के लिए प्रत्येक तिब्बती को जागृत करना क्योंकि यह केवल तिब्बती प्रशासन और अन्य संगठनों का ही कर्तव्य नहीं है कि वे हमेशा तिब्बत के लिए अभियान चलाए बल्कि यह प्रत्येक तिब्बतीयों का भी कर्तव्य है।
येशी को यह बताते हुए खुशी हो रही थी कि अपने अभियान के दौरान वे जहां भी गए, तिब्बतियों और भारतीयों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत और अभिनंदन किया गया। उन्होंने अपने अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद और समर्थन के लिए भारत के सभी तिब्बत समर्थक समूहों के सदस्यों, तिब्बती कल्याण कार्यालय, तिब्बती गैर सरकारी संगठनों, छात्र संघों और अन्य सभी व्यक्तियों को धन्यवाद दिया।
छेरिंग येशी ने छात्रों से कहा कि उन्होंने तिब्बती युवा छात्रावास में अपने अभियान को समाप्त करने का विकल्प चुना, क्योंकि उनका मानना है कि छात्र देश के भविष्य हैं और उनके साथ बातचीत करने से भविष्य में और अधिक परिणाम सामने आएंगे क्योंकि छात्र युवा और ऊर्जावान हैं और आजकल अधिक स्मार्ट भी हैं। उन्होंने उनसे तिब्बत पर होने वाली किसी भी गतिविधियों और कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया क्योंकि वे तिब्बत के लिए और अधिक योगदान दे सकते हैं। उन्होंने उनसे कॉलेजों में अपने भारतीय मित्रों के साथ अधिक जुड़ने और तिब्बत की कहानी सुनाकर सामान्य भारतीय युवाओं में जागरूकता पैदा करने की अपील की।
समन्वयक जिग्मे त्सुल्ट्रिम ने कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सभी का और विशेष रूप से छात्रों को वक्ताओं को ध्यान से सुनने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कार्यक्रम की मेजबानी की पूरी व्यवस्था करने के लिए तिब्बती युवा छात्रावास प्रशासन को भी धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम का समापन तिब्बती और भारतीय राष्ट्रगान के भावपूर्ण गायन के साथ हुआ।