tibet.net, 23 सितम्बर 2013
शोक संवेदना और श्रद्धांजलि के लिए प्रस्ताव
प्रस्तावना
भारत की समाजवादी पार्टी के महासचिव और तिब्बत आंदोलन के लंबे समय से समर्थक रहे श्री मोहन सिंह का 22 सितंबर 2013 को शाम 4.15 बजे दु:खद निधन हो गया। श्री सिंह पिछले कुछ समय से बीमार थे और नर्इ दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे।
भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के देवरिया इलाके में स्थित जय नगर में 1945 में जन्मे श्री सिंह 1968-69 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे। वह एक सच्चे देशभक्त थे और भारत के दो प्रसिद्ध समाजवादी नेताओं श्री राज नरायण और डा. राम मनोहर लोहिया का उन पर गहरा असर था। राष्ट्रीय आंदोलनों शामिल होने के दौरान वह कर्इ बार जेल भी गए।
उत्तर प्रदेश राज्य में 1977 से 1985 तक विधानसभा सदस्य रहने के अलावा वह दसवीं, बारहवीं और चौदहवीं लोकसभा (भारतीय संसद का निचला सदन) के सदस्य भी चुने गए थे। उन्हें संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा का भी दो बार सदस्य चुना गया। वह समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और संसद में पार्टी के सचेतक थे। उन्हें वर्ष 2008 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के अवार्ड से सम्मानित किया गया। उनका सम्मान सिर्फ एक नैतिक गुणों वाले सांसद के रूप में ही नहीं था, बल्कि वह कर्इ पुस्तकों के लेखक भी थे।
श्री मोहन सिंह तिब्बत मसले के कटटर समर्थक थे। वर्ष 1994 में दिल्ली में तिब्बत मसले पर दुनिया के सांसदों के पहले सम्मेलन के आयोजन में उन्होंने श्री जार्ज फर्नांडीज के साथ मिलकर प्रमुख भूमिका निभार्इ। वे इसके बाद भी तिब्बत पर आयोजित होने वाले दुनिया के सांसदों के सम्मेलन में शामिल होते रहे। उन्होंने भारतीय संसद में कर्इ बार तिब्बत मसले को उठाया। इसके अलावा, वे परमपावन दलार्इ लामा का बहुत आदर और सम्मान करते थे और उनसे कर्इ बार मिल चुके थे।
प्रस्ताव
निर्वासित तिब्बती संसद 23-9-2013 को पारित एक प्रस्ताव में स्वर्गीय मोहन सिंह के गुणों की सराहना करते हुए यह प्रार्थना करती है कि उनके सभी सपने पूरे हों। संसद यह प्रार्थना भी करती है कि उन्हें एक वैभवपूर्ण पुनर्जन्म मिले और उनके परिवार के साथ गहरी शोक संवेदना प्रकट करती है।
प्रस्तावक: श्रीमती डोलमा सेरिंग, सांसद
प्रस्ताव के समर्थक: श्री जामयांग सोएपा, सांसद