दैनिक जागरण, 7 मार्च, 2012
मुरादाबाद : धर्मगुरु दलाईलामा की बिना शर्त तिब्बत वापसी के मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए एक शरणार्थी तिब्बती परिवार आजकल पैदल यात्रा पर है। यह परिवार हिमाचल, उत्तराखंड राज्य के विभिन्न स्थानों से होता हुआ शुक्रवार को महानगर में पहुंचा।
पदयात्री शरणार्थी परिवार में दामपो की लांगत्सा (54), उनके दो बच्चे छेतेन दोरेज लांगत्सा (33), बेटी लहामो (17) तथा तिब्बती छात्र सुजा शामिल हैं। इन लोगों ने तिब्बती जनक्रांति दिवस की 53वीं वर्षगांठ के अवसर पर गत 10 मार्च को धर्मशाला (हिमाचल) से अपनी पदयात्रा शुरू की। हिमाचल और उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों से होते हुए ये लोग शुक्रवार को यहां पहुंचे। यहां थोड़ी देर रुकने के बाद
दामपो ने बताया कि उनका परिवार 1995 से तिब्बत से पलायन कर धर्मशाला में दलाईलामा के निवास स्थान पर निर्वासित है और चीनी सरकार पर दवाब डालने हेतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन जुटाने के लिए पदयात्रा पर है। वह यह भी कहती हैं कि तिब्बत लौटने की इस पदयात्रा को वह आशीर्वाद व सम्मान के रूप में देखती हैं। साथ ही तिब्बत के भीतर रह रहे तिब्बतियों के प्रति एकात्मता एवं एकता अभिव्यक्त करने के उद्देश्य से उन्होंने इस पदयात्रा की स्वैच्छिक पहल की है। उन्हें पूरा विश्वास है कि दलाई लामा के तिब्बत लौटने के लिए वह इस पदयात्रा द्वारा मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश करेंगे।
दलाई लामा की बिना किसी शर्त के वापसी के अलावा उनकी यह भी मांग है कि बिना किसी शर्त के पनचेन लामा सहित सभी कैदियों की रिहाई, तिब्बती मातृभाषा का संरक्षण तथा इसी भाषा से अध्ययन करने का अधिकार मिले, तिब्बती धर्म और संस्कृति को आधारशील के साथ बरकरार रखने का पूर्ण अधिकार दिया जाए तथा पूरे तिब्बती क्षेत्रों से विसैन्यीकरण किया जाए।