धर्मशाला। तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा द्वारा राजनीति से सेवानिवृत्ति के अपने फैसले पर पुनर्विचार से इंकार के बाद तिब्बत की निर्वासित संसद अब शक्ति हस्तांतरण की तैयारियों में जुट गई है।
तिब्बत की निर्वासित संसद के सचिवालय के प्रवक्ता तेंजिन नोर्बू ने सोमवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, “”प्रधानमंत्री सामधोंग रिनपोचे और डिप्टी स्पीकर दोलना ग्यारी सहित तीन लोगों की एक संसदीय समिति शक्ति हस्तांतरण के तौर-तरीकों पर विचार करेगी। यह अपना प्रस्ताव 23 मार्च को संसद में सौंपेगी।”” संसद सदस्य ने कहा कि सांसदों की ओर से तिब्बती संविधान को दोबारा तैयार करने की भी मांग है, ताकि दलाई लामा से नए निर्वाचित नेता को शक्ति का हस्तांतरण आसानी से किया जा सके। उनके मुताबिक, “”सांसदों की ओर से यह मांग भी है कि इस मुद्दे को जून में नई संसद और कैबिनेट के समक्ष उठाना चाहिए।”” तिब्बती संसद का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है। रविवार को नई “कालों त्रिपा” या निर्वासित प्रधानमंत्री तथा संसद के 43 सदस्यों के निर्वाचन के लिए मतदान हुआ। परिणाम 27 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे। दलाई लामा (75) ने 14 मार्च को तिब्बती संसद के बजट सत्र में राजनीतिक सेवानिवृत्ति के अपने फैसले की घोषणा की थी। 18 मार्च को संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था। 38 में से 37 सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन नोबेल पुरस्कार विजेता धर्मगुरू ने एक बार फिर अपने फैसले पर दृढ़ता दिखाते हुए कहा कि उनका अपने फैसले से पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है। उधर, अमेरिकी सीनेट की सदस्य टैमी बाल्दविन ने तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा द्वारा अपनी राजनीतिक शक्तियों का हस्तांतरण चुने हुए नेता को करने के फैसले का स्वागत किया है। केंद्रीय तिब्बत प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की सदस्य बल्दविन ने कहा, “”ऎसे समय में जब कई जगह लोग सत्ता से चिपके हुए हैं और जनता लोकतंत्र का इंतजार कर रही है, वहीं दलाई लामा का यह कदम तिब्बती लोगों की इच्छा को पूरा करने के उनके दृष्टिकोण को प्रतिबिम्बित करता है। दुनिया के अन्य हिस्सों में भी लोगों को उनसे सीख लेनी चाहिए।””
शक्ति हस्तांतरण के लिए बनी सांसदों की समिति
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