सेवतिब्बत.आर्ग, 11 दिसंबर, 2018
तिब्बत में दशकों से चले आ रहे दमन को लेकर चिंतित अमेरिकी नागरिकों- जिनमें सांसद, एक्टिविस्ट और मानवाधिकारों के प्रति सजग लोग शामिल हैं- के लिए आज का दिन एक यादगार विजय का दिन रहा। संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया जो अमेरिकियों के प्रति चीन सरकार के अनुचित व्यवहार से सीधे तौर पर सरोकार रखता है और तिब्बत को बाहरी दुनिया से अलग रखने की चीनी नीति पर कड़ा प्रहार करता है।
अमेरिकी सीनेट ने 11 दिसंबर, 2018 को रिसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत ऐक्ट (एच.आर. 1872) को मंजूरी दे दी। यह अब राष्ट्रपति ट्रम्प के दस्तखत के लिए जाएगा। उम्मीद है कि राष्ट्रपति इस पर जल्द ही हस्ताक्षर कर देंगे, जिसके बाद यह विधयेक कानून बन जाएगा।
2018 के रिसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत ऐक्ट को प्रतिनिधि सभा में प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न (डेमोक्रेट-मैसाच्यूसेस्ट) और रैंडी हॉल्टग्रेन (रिपब्लिकन-इलोनॉयस) ने पेश किया था और मार्को रूबियो (रिपब्लिकन-फ़्लोरिडा) और टैमी बाल्डविन (डेमोक्रेट-विस्कौंसिन) ने सीनेट में पेश किया था। यह एक द्विपक्षीय कानून है जिसे अमेरिकी पत्रकारों, राजनयिकों और नागरिकों को तिब्बत जाने से चीन के रोकने की प्रवृत्तियों से निपटने के तौर पर डिज़ाइन किया गया है।
बिल के 14 में से एक सेन रॉबर्ट मेनेंडेज़ (डेमोक्रेट- न्यू जर्सी) ने कहा, ‘रिसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत ऐक्ट हमारे मूल्यों को प्रतिबिंबित करनेवाला एक महत्वपूर्ण बयान है, और मैं इस बात से खुश हूं कि इसे वर्ष के अंत से पहले राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया है।’ यह कानून साधारण मौलिक सुधार के बारे में है। चीन के नागरिकों संयुक्त राज्य अमेरिका में हर कहीं आने जाने का आनंद ले रहे हैं और मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा है। लेकिन, यह कतई अस्वीकार्य है कि अमेरिकी छात्रों, पत्रकारों या राजनयिकों के तिब्बत जाने के लिए यही सुविधा न दी जाए। जाने की अनुमति न दिए जानेवालों में हमारे वे तिब्बती-अमेरिकी नीति निर्माता भी शामिल हैं जो अपने मूल देश का दर्शन करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि चीन चाहता है कि उसके पर्यटक, अधिकारी, पत्रकार और अन्य नागरिक पूरे अमेरिका में स्वतंत्र रूप से उन्मुक्त यात्रा करने में सक्षम हों, तो अमेरिकी नागरिकों को तिब्बत सहित पूरे चीन में स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की भी अनुमति होनी चाहिए। द इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत इस बिल पर अपना काम करने के लिए बधाई का पात्र है और तिब्बतियों सहित सभी लोगों के लिए निष्पक्षता और शालीनता का एक दृढ़ चैंपियन बनने के लिए इसकी सराहना की जानी चाहिए।’
विधेयक को कांग्रेस में सत्तापक्ष और विपक्ष- दोनों ओर से समर्थन मिला। सीनेट में बिल पेश करने वाले रुबियो ने कहा, ‘तिब्बत में चीन के दमन में उन लोगों को भी शामिल रखना है जो तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों के हनन मामलों को उजागर कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें दोहरे मानक को कदापि स्वीकार नहीं करना चाहिए कि चीनी अधिकारी तो स्वतंत्र रूप से अमेरिका में जहां चाहें घूमते रहें और हमारे राजनयिकों, पत्रकारों और तिब्बती-अमेरिकियों को तिब्बत जाने से रोका जाए। मैं इस विधयेक पर राष्ट्रपति ट्रम्प के हस्ताक्षर करने के बाद इसे कानून बनते देखना चाहता हूं, जो चीन के साथ अमेरिका के संबंधों के पारस्परिकता के कुछ पैमानों को बहाल करने में मदद करेगा।’
विधेयक पास करने का अभियान
2014 के बाद से इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत (आईसीटी) अमेरिकी-तिब्बती संघों और तिब्बत समर्थन समूहों के साथ मिलकर रिसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत ऐक्ट को मंजूरी दिलाने का अभियान चला रहा था। आईसीटी वाशिंगटन डीसी स्थित एक गैर-लाभकारी, सदस्यता आधारित संगठन है जो तिब्बत के लोगों के लिए मानव अधिकारों और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की वकालत करता है।
कई हजार आईसीटी सदस्यों और अमेरिकी नागरिकों ने कांग्रेस में अपने सदस्यों से संपर्क कर उनसे इस विधेयक का समर्थन करने के लिए कहा।
आईसीटी के अध्यक्ष माटेओ मकाकियो ने कहा, यह वास्तव में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए तिब्बती लोगों के प्रति समर्थन और क्षेत्र में उसकी रणनीतिक सुरक्षा हितों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।’ इस अहम विधयेक को पारित करके, जो पारस्परिकता के राजनयिक सिद्धांत को लागू करता है, कांग्रेस जोर से और स्पष्ट कह रही है कि तिब्बत का भविष्य है और अमेरिका के लिए तिब्बत पर एक विदेश नीति अपनाने की प्राथमिकता बनी रहेगी। इसके अलावा, तिब्बत के लिए अमेरिकी लोगों के भारी समर्थन से पता चलता है कि स्वतंत्र दुनिया के नागरिक बीजिंग के प्रभुत्ववादी शासन और दुनिया भर को प्रभावित करने वाली उसकी अनुचित नीतियों के विरोध में हैं।’
विधेयक क्या कहता है
विधेयक के अनुसार, अमेरिकी विदेशमंत्री इस कानून के लागू होने के 90 दिनों के भीतर अमेरिकी नागरिकों के लिए तिब्बत तक आवागमन के स्तर का आकलन करेंगे और कांग्रेस को इसकी रिपोर्ट भेजेंगे। इसमें उन चीनी अधिकारियों की पहचान की जाएगी जो ऐतिहासिक रूप से स्वतंत्र और करीब 70 वर्षों से चीन द्वारा जबरन कब्जा किए गए तिब्बत से अमेरिकियों को बाहर रखने के लिए जिम्मेदार होंगे। विदेशमंत्री इसके बाद उन चीनी अधिकारियों को अमेरिका में प्रवेश करने के लिए वीजा देने पर प्रतिबंध लगा देंगे।
बिल को पारस्परिकता के व्यापक रूप से स्वीकृत उन राजनयिक सिद्धांत पर आधारित रखा गया है, जिसके आधार पर देशों को एक दूसरे के नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करना होता है।
जब तिब्बत की बात आती है, तो बीजिंग इस पारस्परिकता का सम्मान नहीं करता है। यद्यपि चीनी नागरिक, राज्य-प्रायोजित प्रचार आउटलेट्स के पत्रकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नौकरशाह पूरे अमेरिका में स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं और तिब्बती मुद्दों पर अमेरिकी सरकार को अपने पक्ष में करते हैं। वहीं बीजिंग प्रभावी रूप से अमेरिकी राजनयिकों, राजनेताओं, पत्रकारों, सहायताकर्मियों और पर्यटकों को तिब्बत में प्रवेश करने से रोकता है। केवल कुछ लोगों को सख्त नियंत्रित आधिकारिक दौरों की अनुमति दी जाती है जिसमें वहां के कष्टों के बारे में सच्चाई को छिपाई जाती है।
मानवाधिकार संकट
अभी, तिब्बत के अंदर एक मानवीय संकट पैदा हो रहा है। चीनी सरकार तिब्बती लोगों की बुनियादी स्वतंत्रता का उल्लंघन करना जारी रखे हुए है। उन्हें दलाई लामा का जन्मदिन मनाने जैसे ‘अपराधों’ के लिए गिरफ्तार किया जाता है, उन्हें शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए यातना दी जाती है और निर्वासन में भागने की कोशिश करने पर उनकी हत्या भी कर दी जाती है। सैकड़ों तिब्बती कैदी चीनी जेलों में बंद हैं, जहां यातना आम बात है और किसी भी कानूनी सुविधा तक उनकी पहुंच नहीं है। अमेरिकी थिंक टैंक फ्रीडम हाउस की वैश्विक रिपोर्ट- 2017 फ्रीडम इन द वर्ल्ड रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत दुनिया के सबसे कम स्वतंत्र क्षेत्रों में से एक है।
दमन के इस इंतहा को देखते हुए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि 155 तिब्बतियों ने 2009 के बाद से आत्मदाह जैसा दुखद कृत्य का सहारा लिया है। यह अपने शरीर को आग में जलाकर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने का आखिरी प्रयास है।
अभी कुछ दिनों पहले ड्रगखो नाम के एक युवा तिब्बती ने खुद को आग लगा ली थी। उसने कथित तौर पर तिब्बत की आजादी का नारा लगाया था। पिछले महीने, डोरबे नाम के एक 23 वर्षीय तिब्बती ने अमदो के तिब्बती क्षेत्र में आत्मदाह किया, यह कहते हुए कि ‘दलाई लामा दीर्घजीवी रहें!’
आत्मदाह की कई घटनाओं के बावजूद बीजिंग स्थित किसी विदेशी पत्रकार को इन घटनाओं को कवर करने के लिए तिब्बत की यात्रा करने की अनुमति नहीं मिली है।
चीन पर दबाव
रिसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत ऐक्ट के प्रभावों में से एक चीनी सरकार पर अमेरिकियों को यात्रा करने और तिब्बती लोगों के साथ बातचीत करने से रोकने की नीतियों को संशोधित करने के लिए दबाव बढ़ेगा। चीन अपने अधिकारियों को अमेरिका की उन्मुक्त यात्रा करने के विशेषाधिकार को अनदेखा कर ऐसी रोक लगाता है।
जब चीन में अमेरिकी नागरिकों को नागरिक स्वतंत्रता की बात आती है, उस समय यह बिल अमेरिकी सांसदों और ट्रम्प प्रशासन में बीजिंग के दोहरे मानदंड और पारस्परिकता के प्रति सम्मान की कमी के कारण बढ़ती निराशा को भी दर्शाता है।
दोनों दलों के राजनेताओं और प्रशासन ने भी बीजिंग की अनुचित नीतियों पर कड़ी नाराजगी जताई है और मांग की है कि चीनी सरकार व्यापार के पारस्पनरिक मुद्दों के साथ-साथ तिब्बत तक जाने की अनुमति भी प्रदान करे।
तिब्बती-अमेरिकियों के लिए समर्थन
पिछले साल भर में पूरे देश में तिब्बती-अमेरिकियों और तिब्बत समर्थकों ने कांग्रेस के अपने समर्थक सदस्यों से मुलाकात की और तिब्बत तक आवागमन शुरू करने के लिए आवाज उठाने की उनसे अपील की और बिल का समर्थन करने को कहा है। सोशल मीडिया पर, उन्होंने हैशटैग #AccessToTibet भी शुरू किया है।
इंटरनेशनल कंपेन फॉर तिब्बत के उपाध्यक्ष भुचुंग के त्सेशरिंग ने विशेष रूप से बिल पास होने के लिए कांग्रेस सदस्यों- मैकगवर्न और हॉल्टग्रेन और सीनेटर रुबियो और बाल्डविन को धन्यवाद दिया।
त्सेवरिंग ने कहा, ‘रिसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत ऐक्ट हम सभी तिब्बती-अमेरिकी समुदाय को लाभान्वित करेगा, जिन्हें क्रूरता से हमारे परिवारों और पैतृक भूमि से वंचित किया गया है।‘ उन्होंने कहा, ‘अब जब कांग्रेस ने विधेयक पारित कर दिया है तो यह जरूरी है कि राष्ट्रपति ट्रम्प इस पर हस्ताक्षर कर इसे कानून में परिवर्तित करें और यह विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी होगी कि वह उन चीनी अधिकारियों की पहचान कर उन्हें जिम्मेदार ठहराने के लिए हर उपाय करे, जो अमेरिकियों और तिब्बतियों के साथ भेदभाव के लिए जिम्मेदार हैं।‘