निर्वाचन अधिकारी जामफेल चोएसांग ने बताया कि सांगय को 27,051 वोट मिले। चोएसांग ने कहा, ‘ सांगय को 20 मार्च को हुए मतदान में कुल वोट का 55 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं। ‘ राजनयिक तेनजिन नामज्ञाल तेथोंग और ताशी वांगदी प्रधानमंत्री पद के अन्य उम्मीदवार थे। दोनों को क्रमश: 18,405 और 3,173 वोट मिले। तेथोंग भी अमेरिका में रहते हैं, जबकि वांगदी ब्रसेल्स, न्यू यॉर्क और नई दिल्ली में दलाई लामा के प्रतिनिधि रह चुके हैं।
चोएसांग ने कहा कि नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री वर्तमान कैबिनेट का कार्यकाल अगस्त में समाप्त होने के बाद ही शपथ ग्रहण करेंगे। सांगय का जन्म भारत में निर्वासन के दौरान 1968में हुआ था। वह अक्सर कहते हैं, ‘ भारत मेरा दूसरा घर है। मैं अपने पहले घर (तिब्बत) में कभी नहीं जा पाया। ‘ सांगय के पिता इस समय दार्जिलिंग के पास एक गांव में रहते हैं। उन्होंने भी 1959 में दलाई लामा के साथ तिब्बत छोड़ दिया था। रिनपोछे को सितम्बर 2001 में पांच वर्ष के लिए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री निर्वाचित किया गया था, क्योंकि दलाई लामा ने निर्वासित प्रधानमंत्री को सीधे निर्वाचित किए जाने का आग्रह किया था। इस तरह रिनपोछे सीधे तौर पर निर्वाचित होने वाले पहले निर्वासित प्रधानमंत्री बन गए थे।
रिनपोछे दोबारा चुनाव नहीं लड़ सकते थे, क्योंकि तिब्बत का संविधान किसी व्यक्ति को दो कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर रहने से प्रतिबंधित करता है। ज्ञात हो कि 1959 में जब चीनी सेना ने आक्रमण कर ल्हासा पर कब्जा कर लिया, तो दलाई लामा (75) और उनके समर्थकों ने वहां से भाग कर भारत में शरण ली थी। फिलहाल करीब 1,40,000 तिब्बती निर्वासित जीवन बिता रहे हैं और उनमें से 1,00,000 से अधिक भारत के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं। इसके अलावा 60 लाख से अधिक तिब्बती, तिब्बत में रहते हैं।