हॉवई लॉ यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ फैलो लोबसंग सांगये तिब्बत निर्वासित सरकार के नए प्रधानमांत्री होंगे। इसकी घोषणा निर्वासित चुनाव आयुक्त जमपाल छोंसंग ने बुधवार को की। उन्हें 15 अगस्त 2011 को पद एंव गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी।
छोजंग ने 20 मार्च को संपन्न चुनाव प्रक्रिया में निर्वाचित प्रधानमंत्री के साथ – साथ पंद्रहवीं निर्वासित संसद की घोषणा भी की। उनके साथ दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्त गेशो रिंगजिन छोडक औऱ यंखो गयाल ने बताया कि सांगये को 27 हजार 51 और उनके प्रतिद्वंद्वी तेंजिन नमगयाल तेथोंग को 18 हजार 405 मत मिले। तीसरे प्रत्याशी तशी वांगदी को 3 हजार 173 मत मिले। 20 मार्च को तिब्बती प्रधानमंत्री पद के अंतिम चरण के मतदान में भारत , नॉर्थ अमेरिका , स्विटजरलैंड , बेल्जियम ,जर्मनी, फ्रांस , इटली , ऑस्ट्रेलिया, पोलैंड , रुस , जापान , ताइवान और ऑस्ट्रिया के 83 हजार 399 पंचीकृत तिब्बती मतदाताओं में से 49 हजार 184 ने मताधिकार का प्रयोग किया था। लोबसंग को 55 फीसदी मत मिले । दलाई लामा द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि को राजनीतिक शाक्तियां सौंपने के ऐलान के चलते तिब्बती चार्टर (राजपत्र) में संशोधन के लिए 21 मई को यहां तिब्बतियों के आम बैठक होगी। इसमें पारित प्रस्ताव होने के बाद ही नए पीएम को दलाई लामा की राजनीतिक शाक्तियां सौंपने पर अंतिम मुहर लगेगी।
दलाई लामा ने दी बधाई।
धर्मशाला। तिब्बत निर्वासित सरकार के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री और पंद्रहवी निर्वासित संसद के सदस्यों को बधाई देते हुए दलाई लामा ने कहा कि यह अच्छी मतदान प्रकिया और लोकतंत्र का नतीजा है। हमें इसे प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होने लोबसंग सांग्ये को बधाई दी। बुधवार को अमेरिका दौरे पर जाने से पहले कांगडा एयरपोर्ट पर दलाई लामा ने कहा, सुबह ही उन्हे चुनाव परिणाम की जानकारी मिली । दलाई लामा पहले जापान जाएंगे।
दलाई लामा की मध्यमार्गी नीति को ही आगे बढाएंगे।
धर्मशाला । तिब्बत की राजनीति में नई शख्सियत के रुप में निर्वाचित डॉ.लोबसंग सांगये अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून विशोषज्ञ होने के साथ- साथ अमेरिकी राष्ट्रीपति बराक ओबामा के भी मित्रों की सूची में है । ऐसे में वे तिब्बत समस्या का दलाई लामा की मध्यमार्गी नीति के तहत ही शांतिपूर्वक हल निकालेंगे । लोबसंग कह चुके है कि महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला का अहिंसा मार्ग ही उनकी नीति का आधार रहेगा। 30 देशों में निर्वासित जीवन काट रहे तिब्बतियों को निर्वाचन के बाद भेजे प्रथम संदेश में उन्होने धन्यवाद करते हुए अपने पर दशांए विश्वास और प्रधानमंत्री पद के दायित्व को स्वीकार किया है। उनका पहला काम तिब्बती समुदाय लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करना होग। उन्होंने कहा , मेरा विश्वास है कि वर्तमान प्रधानमांत्री की ओर से लोकतंत्र के लिए किए गए कार्य के चलते ही भारी संख्या में निर्वासित तिब्बतियों ने मतदान में हिस्सा लेकर आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों को विश्चस्त किया कि वर्तमान में तिब्बत की विकटतम परिस्थितियों में जिस तरह वे जीवन बसर कर रहे है, वह उसके लिए सदैव संघर्षरत रहेंगे।
लोबसंग सांगये तिब्बत के नए पीएम।
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