दिल्ली।निर्वासित तिब्बती संसद (टीपीआईई)की पांच दिवसीय रणनीतिक बैठक दिल्ली में ०६ से ११ अगस्त २०२३ तक आयोजित की गई। यह बैठक १७वीं निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर खेनपोसोनम तेनफेल, उपाध्यक्ष डोल्मा छेरिंग तेखांग और निर्वासित तिब्बती सांसदों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। टीपीआईई की तीसरी रणनीतिक बैठक सांसदों के बीच पक्षधरता के उन्नत कौशल और एक नई भावना के साथअंग्रेजी और तिब्बती भाषाओं में टीपीआईई रणनीतिक योजना २०२३-२०२६ दस्तावेज के लॉंच के साथ संपन्न हुई।
दस्तावेजों के लॉंच के दौरान निर्वासित संसद की उपाध्यक्ष ने टीपीआईई रणनीतिक योजना २०२३-२०२६ के महत्व और विशेष रूप से इसे अंतिम रूप देने की प्रक्रिया के बारे में बताया। निर्वासित संसद के अध्यक्ष ने बताया कि दस्तावेज़ को शुरू में प्रत्येक सांसद को ईमेल से भेजा गया और फिर स्थायी समिति की बैठक में इसेअंतिम रूप दिया गया। तिब्बती सांसदों ने अपने सामूहिक प्रयास के बारे में विचार व्यक्त किए और रणनीतिक योजना में सूचीबद्ध लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनी सिफारिशें बताईं।
टीपीआईई रणनीतिक योजना २०२३-२०२६ मुख्य रूप से मार्गदर्शक सिद्धांतों, रणनीतिक लक्ष्यों और कार्य योजनाओं पर केंद्रित है। इस योजना में टीपीआईई के लिए अगले चार वर्षों में काम करने के लिए छह रणनीतिक लक्ष्य और सूचीबद्ध लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विस्तृत कार्य योजनाएं शामिल हैं।
तिब्बती सांसदों ने उसी दिन भारतीय संसद की लोकसभा के सदस्य श्री राजेंद्र अग्रवालऔर राज्यसभा केसदस्य डॉ. अमीयाज्ञनिक के साथ विचार आदान-प्रदान सत्र काभी आयोजन किया।
अंतिम दिन एक समापन सत्र आयोजित किया गया,जहां निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि पांच दिवसीय बैठक के दौरान तिब्बती सांसदों और भारतीय गणमान्य व्यक्तियों और विशेषज्ञों के बीच हुई चर्चा टीपीआईई के भविष्य के कार्यों कामार्गदर्शन करेगी। उपाध्यक्ष ने कहा कि इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बैठक ने तिब्बती सांसदों को भारतीय संसद के सदस्यों के साथ बातचीत करने और इसकेदोनों सदनों के सदस्योंको अपना संदेश देने का एक बड़ा अवसर प्रदान किया, जिसमें तिब्बत के लिए सर्वदलीय भारतीय संसदीय फोरम फॉर तिब्बत (एपीआईपीएफटी) के संयोजक श्री सुजीत कुमार भी शामिल थे।
निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष ने रणनीतिक बैठक के दौरान आवंटित समितियों में चर्चा में सक्रिय भागीदारी के लिए भाग लेने वाले तिब्बती सांसदों की सराहना कीऔर उनके प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने आगे कहा कि बैठक अपेक्षाओं से अधिक सफल रही, लेकिन इसमें निहित लक्ष्यों को पूरा करने की मुख्य जिम्मेदारी सांसदों की है।
बैठक के पहले दिन राज्यसभा सदस्य और तिब्बत के लिए सर्वदलीय भारतीय संसदीय फोरम फॉर तिब्बत(एपीआईपीएफटी) के अध्यक्ष श्री सुजीत कुमार के साथ विचार-विमर्श का सत्र हुआ, जहां उन्होंने चीन-तिब्बत संघर्ष के मुद्दे को लेकर भारत की तिब्बत नीति,भारतीय संसद,चीन-भारत संबंधऔर तिब्बत आउटरीच अभियानों को ऊपर उठाने के तरीकों पर चर्चा की। पहले दिन के कार्यक्रम में नई दिल्ली के फाउंडेशन फॉर नॉन-वायलेंट अल्टरनेटिव्स (एफएनवीए) के ट्रस्टी ओ़पी़ टंडन और रेबन बनर्जी द्वारा प्रस्तुत‘भारत की तिब्बत नीति-२०२२ को पुनर्निधारित करना‘ और ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रतिष्ठित फेलो डॉ. मनोज जोशी द्वारा प्रस्तुत‘तिब्बत पर चीन के २०२१ के श्वेत पत्र केभारत की चीन रणनीति के संदर्भ में निहितार्थ’पर बातचीत भी शामिल थी।
निर्वासित तिब्बती संसद की रणनीतिक बैठक के दूसरे दिन इंडिया वॉटर फाउंडेशन के अध्यक्ष और विश्व जल परिषद के गवर्नर डॉ. अरविंद कुमार द्वारा ‘दक्षिण एशिया में जलवायु परिवर्तन के खतरे‘ पर व्याख्यान दिया गया। पहले दिन जिन विषयों पर चर्चा हुई, उन पर तिब्बती सांसदों के बीच मंथन भी हुआ। तिब्बत के लिए सर्वदलीय भारतीय संसदीय मंच के संयोजक सांसदश्री सुजीत कुमार ने उसी दिन निर्वासित तिब्बती संसद के स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और सदस्यों के सम्मान में हाई टी पार्टी की मेजबानी की। हाई टी में राज्यसभा सदस्य डॉ. अशोक बाजपेयी और राज्यसभा सांसद श्री अनिल हेगड़े भी शामिल हुए। चाय पर भारतीय और तिब्बती सांसदों ने विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की।
टीपीआईई रणनीतिक बैठक के तीसरे दिन ‘द हिंदू’ अखबार की कूटनीतिक संपादक सुहासिनी हैदर द्वारा पेश‘भारत की तिब्बत नीति के संबंध में भारत की विदेश नीति में देखने लायक पांच रुझान‘ औरभारत के परमाणु मामलों और जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर प्रधानमंत्री के पूर्व दूत,भारत के पूर्व राजदूत और पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन द्वारा पेश ‘भारत-चीन संबंध‘ विषय पर विचार-विमर्श किया गया।बाद में शाम को तिब्बती सांसदों ने राज्यसभा सदस्य श्री ए.डी. सिंह के साथ एक सार्थक संवाद-सत्र भी किया।
रणनीतिक बैठक के चौथे दिन तिब्बती सांसदों ने राज्यसभा सदस्य श्री अनिल हेगड़े और राज्यसभा सदस्य डॉ. अशोक बाजपेयी के साथ एक बहुत ही सार्थक विचार-विमर्श सत्र का आयोजन किया और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।इनके साथ भाजपा नेता श्री राजेश दीक्षित भी थे। बैठक में भावनात्मक बुद्धिमत्ता, व्यक्तित्व विकास और संघर्ष समाधान के महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। मितिका एनरिचिंग लाइफस्पेस के सह-संस्थापक और निदेशक दुर्बा घोष ने भावनात्मक बुद्धिमत्ता की जटिलताओं पर बात की, जबकि मितिका की जया अय्यर ने व्यक्तित्व विकास पर बात की। घोष और अय्यर ने ‘संघर्ष समाधान-शांति निर्माण’ पहल पर भी बात की।
यह निर्वासित तिब्बती संसद की तीसरी रणनीतिक बैठक है।पिछली दो बैठकें क्रमशः सितंबर और नवंबर-२०२२ में हरियाणा और धर्मशाला में आयोजित की गई थीं।