येशी के याद में।
(चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ की भारत यात्रा के विरोध और तिब्बत की मुकित के लिए 26 मार्च 2012 को जंतर-मंतर पर आत्मदाह करने वाले जामफेल येशी के लिए)
येशी तुम सदा
रहोगे जीवित।
उन आंखों में
जिन्होने तुम्हें
मौके पर
जलते हुए
देखा जिंदा
या अखबरों में।
उनकी रूहों में
जो लाखों बेगुनाह
तिब्बत में मार दिए गए
जिनहोंने किए आत्मदाह
तुम्हारी तरह।
तिब्बत की उस
सांस्कृतिक विरासत में
जिसको जिंदा
रखने को तुमने
किया सर्वोच्च बलिदान।
दासता से मुकित की
उस चाह में
जिसके साथ जन्मते
और मरते हैं
तुम्हारे जैसे क्रांतिधर्मी।
येशी तुम सदा
रहोगी जीवित।
राजीव शर्मा