तिब्बतनरिव्यू.नेट, 18 मार्च 2019
दिसंबर 2018 में अमेरिका द्वारा तिब्बत में अपने नागरिकों के लिए पारस्परिक आवागमन की मांग वाला कानून पारित किए जाने के बाद यूरोप के कानूनविदों ने चीनी शासन के कठोर प्रतिबंधों तहत रह रहे हिमालयी क्षेत्र तिब्बत में समान आवागमन का आह्वान किया है। इस मुद्दे पर हालिया खबर है कि यूरोपीय संसद के 10 सदस्यों के साथ-साथ फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बेल्जियम के संसद के 25 सांसदों ने 14 मार्च को एक संयुक्त बयान जारी किया है, जो तिब्बत में अपने राजनयिकों, मीडिया और नागरिकों के लिए उसी समान स्तर के आवागमन की मांग करता है, जैसा कि यूरोप में चीनी राजनयिकों, मीडिया और नागरिकों को प्राप्त होता रहा है।
‘ईयू-चीन संबंधों के असंतुलित होने और तिब्बत तक अप्राप्त पहुंच की मांग करने का समय’ शीर्षक वाला यह बयान यूरोपीय नीतियों पर केंद्रित लेखों के ऑनलाइन प्रकाशन में विशेषज्ञता वाले यूरोपीय मीडिया मंच Euractiv.com पर जारी किया गया है।
विचार देनेवाले इस बयान का कहना है कि तिब्बत की राजधानी ल्हासा में 1959 के जनक्रांति के छह दशक बाद भी स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है। जबकि ‘चीनी शासन के तहत तिब्बती लोगों की निरंतर दुर्दशा के बारे में जागरूकता में लगता है कि हमारे देशों में कमी आई है। इनमें 2009 के बाद से 150 से अधिक तिब्बतियों के दुखद आत्मदाह की घटनाएं भी शामिल हैं। सांसदों ने कहा है कि ‘यही उचित समय है कि हम यूरोप में अपने मूल्यों के साथ और चीन के साथ अधिक संतुलित संबंधों के लिए अपने नागरिकों के लिए इस क्षेत्र में आवागमन की मांग करते हैं।’
विचार देनेवाले इस बयान का कहना है कि जागरूकता की कमी और क्षेत्र पर कठोर नियंत्रण के द्वारा बाहरी दुनिया को तिब्बत में जाने से रोकना मुख्य रूप से चीनी सरकार द्वारा तिब्बत में उसके गंभीर मानवाधिकारों के हनन के बारे में सच्चाई को दबाने के प्रयासों का एक हिस्सा है।‘
यूरोपीय सांसदों ने निराशा व्यक्त की है कि ‘यूरोपीय संघ के नागरिकों सहित विदेशियों को तिब्बत में प्रवेश करने के लिए चीनी वीजा के अलावा भी अलग से कई विशेष प्राधिकरणों और परमिटों की आवश्यकता होती है। उन लोगों के साथ भी जो सरकार द्वारा नियुक्त गाइड की निगरानी में वहां जाते हैं।’
इसके अलावा, चीनी अधिकारियों की कड़ी निगरानी में होनेवाले दुर्लभ आधिकारिक दौरे के अलावा विदेशी राजनयिकों, सांसदों, पत्रकारों और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को भी हमेशा इस क्षेत्र की यात्रा करने की अनुमति देने से इनकार किया जाता है।
दूसरी ओर, चीन अपने नागरिकों, राजनयिकों और मीडिया के लिए यूरोपीय देशों के खुलेपन का लाभ उठाने और तिब्बत के बारे में हमारे नजरिए समेत तमाम विचारों को प्रभावित करने में संकोच नहीं करता है। उन्होंने चीनी अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि वे ‘हमारी उस आज़ादी का फ़ायदा उठाते हैं- जिस आज़ादी का वे अपने घर में सम्मान नहीं करते हैं, जब वे पूरी तरह से ईयू के नागरिकों के साथ भेदभाव करते हुए तिब्बती लोगों पर अत्याचार कर रहे होते हैं।’
सांसदों ने उल्लेख किया है कि यूरोपीय संघ-चीन संबंधों पर यूरोपीय संसद की नवीनतम रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि यूरोपीय संघ के नागरिकों के लिए तिब्बत में मुक्त आवागमन का आह्वान करते हुए सहयोग के सभी क्षेत्रों में पारस्परिकता को मजबूत किया जाए।