dalailama.com / २० जनवरी, २०२२
थेकछेन छोलिंग, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश, भारत। परम पावन दलाई लामा ने सुश्री रोबर्टा मेट्सोला को पत्र लिखकर उन्हें यूरोपीय संसद का अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी है। परम पावन ने यूरोपीय संसद की अपनी पिछली यात्राओं को याद किया और उन्हें और तिब्बती लोगों को दिए गए आतिथ्य और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया।
यूरोपीय संसद की सबसे कम उम्र की अध्यक्षा और इसकी तीसरी महिला अध्यक्षा के रूप में उनके निर्वाचन का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर मुझसे पूछा जाए तो मेरा मानना है कि महिलाएं दूसरों की भलाई के लिए पुरुषों की तुलना में अधिक सहानुभूति रखती हैं। इसलिए दुनिया को अधिक शांतिपूर्ण बनाने के लिए महिलाओं को बेहतर स्थिति में रखा जाना चाहिए।’
यूरोपीय संघ की प्रशंसा करते हुए परम पावन ने कहा कि यह ‘विभिन्न राष्ट्रों और लोगों के बीच सहकारी और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए प्रेरक उदाहरण है और बेहतर समझ, घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता में दृढ़ता से विश्वास करने वाले और दुनिया के विभिन्न राष्ट्रों के बीच अधिक सम्मान की वकालत करने वाले मेरे जैसे लोगों के लिए और भी गहरा प्रेरक है।
उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है और ऐसे नेताओं की जरूरत है जिनके पास दूरदृष्टि हो। मुझे विश्वास है कि अधिकांश मानवीय संघर्षों को खुलेपन और सुलह की भावना के साथ वास्तविक बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है।’
तिब्बत पर टिप्पणी करते हुए परम पावन ने कहा, ‘वास्तव में इसी भावना के साथ १९८८ में मैंने औपचारिक रूप से चीनी नेतृत्व के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान के माध्यम से तिब्बत के मुद्दे को हल करने का प्रस्ताव रखा था। मैंने जान-बूझकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए स्थल के रूप में यूरोपीय संसद को चुना था। तब के मेरे विचार इस बात को रेखांकित करने के लिए हैं कि एक वास्तविक संघ केवल स्वेच्छा से तभी आ सकता है जब सभी संबंधित पक्षों को संतोषजनक लाभ मिले।’
अंत में परम पावन ने एक बार फिर अपना अभिवादन प्रस्तुत किया और उनके सफल कार्यकाल की कामना की।