ब्रुसेल्स। यूरोपीय संघ की संसद ने गुरुवार को भारी बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें तिब्बत में चीन के सरकारी आवासीय स्कूलों में तिब्बती बच्चों को दमनकारी ढंग से जबरन भर्ती करने की निंदा की गई है। यह प्रस्ताव यूरोपीय सांसदों द्वारा बुधवार देर रात आयोजित एक जोरदार बहस के बाद पारित हुआ। प्रस्ताव के पक्ष में ४७७ वोट पड़े, विपक्ष में १४ वोट पड़े और ४५ लोग अनुपस्थित रहे।
हालांकि यह प्रस्ताव लगभग १० लाख तिब्बती बच्चों को जबरन चीनी संस्कृति में विलय करने के मामले पर केंद्रित है, लेकिन यह शी जिनपिंग के शासन के तहत तिब्बत में लगातार बिगड़ती मानवाधिकार स्थिति को भी उठाता है।
प्रस्ताव में चीनी सरकार से तिब्बत में आवासीय स्कूल प्रणाली को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया गया है और ईयू और सदस्य राज्यों से आवासीय स्कूलों में तिब्बती बच्चों को भर्ती करने में शामिल रहे चीनी अधिकारियों के खिलाफ निर्धारित प्रतिबंध कानूनों को लागू करने का आग्रह किया गया है।
यह प्रस्ताव प्रस्ताव रेन्यू समूह के सांसद सलीमा येनबौ द्वारा सदन में पेश किया गया। येनबौ इस साल मार्च में धर्मशाला का दौरा करने वाले यूरोपीय संघ के संसदीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। इस प्रतिनिधिमंडल का अन्य राजनीतिक समूहों ने समर्थन किया था।
ब्रुसेल्स स्थित तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि जेनखांग ने प्रस्ताव का स्वागत किया और चीनी सरकार द्वारा संचालित आवासीय स्कूलों में लगभग १० लाख तिब्बती बच्चों को जबरन भर्ती करने के अभियान पर समय रहते कदम उठाने के लिए यूरोपीय संघ की संसद की सराहना की। यह प्रस्ताव चीनी सरकार द्वारा बच्चों के अधिकार सहित तिब्बती लोगों के मौलिक अधिकारों के निरंतर और गंभीर उल्लंघन पर प्रकाश डालता है।