जागरण, 13 सितम्बर, 2012
नई दिल्ली। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने निर्वासित समुदाय के चुने हुए युवा नेताओं को वैध राजनीतिक प्राधिकार सौंपने को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि निर्वासित तिब्बत सरकार में राजनीतिक भूमिका से वह पूरी तरह संन्यास ले चुके हैं।
दलाईलामा ने गुरुवार को यहां एक स्वास्थ्य सम्मेलन में कहा, ‘बीते साल मैंने राजनीतिक प्राधिकार चुने हुए युवा नेताओं को सौंप दिया। वह बहुत अच्छा फैसला था। मैं पूरी तरह से सेवानिवृत्त हो चुका हूं। मुझे खुशी है कि मैंने दलाईलामाओं की राजनीतिक और आध्यात्मिक प्रमुख रहने की परंपरा को खत्म किया। बीते साल संन्यास की घोषणा के दिन मैं ठीक से सो तक नहीं पाया था।
मुझे इस बात का एहसास था कि मुझ पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी थी।’ आध्यात्मिक गुरु ने यह भी कहा कि वह तिब्बत के मसले पर जीते-जी आवाज उठाते रहेंगे। भारत को उन्होंने इसका जीता जागता उदाहरण बताया जहां दुनिया के सभी धर्मो के लोग साथ रह सकते हैं।