[शनिवार, 20 नवम्बर, 2010 | स्रोत : हिन्दुस्तान]
मैं भारत का बेटा हूं । जब मैं यह कहता हूं तो लोग आश्चर्यचकित होते है। एक बार चीन के एक पत्रकार ने मुझसे सवाल किया कि मैं यह किस आधार पर कहता हूं कि मैं भारत का बेटा हूं। तो मैंने उसे जबाव दिया कि दिमाग और शरीर दोनों ही इस धरती के कर्जदार है। मैंने जो कुछ हासिल किया , वह इसी धरती पर । मुझे तिब्बत से निर्वासन के बाद से इस देश में 51 साल से ज्यादा हो गए है। इस धरती की दाल व चावल खाकर मेरा शरीर बना है । मैंने ज्ञान भी इसी देश से हासिल किया है। शरीर व दिमाग दोनों ही इस देश की देन है। भारत और तिब्बत के बीच में रिश्ता गुरु और चेले का रहा है। मैं भारत का भरोसेमंद चेला हूं । भारत को गुरु इसलिए मानता हूं कि इसने ही मुझे सब कुछे सिखाया है। इस देश ने मुझे बहुत कुछ दिया है । मैं जब भी विदेश जाता हूं , खुद को भारतीय विचारों का प्रतिनिधि बताता हूं। हमने भारतीय विद्बानों से बहुत कुछ सीखा है। मैं इस बात को स्वीकार नहीं करता हूं कि इस दौर में धर्म असफल हो गया है। सच्चाई यह है कि जो लोग जिस धर्म के है, वे उसका सही तरह से पालन नही करते है।