पत्रिका, 6 अक्टूबर 2015
नई दिल्ली। हाल फिलहाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीनी नेताओं के साथ सद्भावनापूर्ण रिश्ते बनाए हैं और दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति व स्थिरता का दौर चल रहा है। ऎसे में केन्द्र सरकार की एक सीनियर मंत्री मेनका गांधी ने तिब्बत में मानवाधिकारों के हनन को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को एक पत्र लिखकर तिब्बत के बारे में हस्तक्षेप करने के लिए कहा है। इस समय केन्द्रीय मंत्री का चीन के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासचिव को पत्र लिखा जाना चीनी राजनयिक और सामरिक हलकों में अन्यथा लिया जा सकता है।
गौरतलब है कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर तिब्बती युवक कांग्रेस के सदस्य धरने और भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इनमें से एक भूख हड़ताली को पुलिस ने जबर्दस्ती अस्पताल भेज दिया है जबकि दो और युवक भूख हड़ताल पर हैं। यहां तिब्बत युवक कांग्रेस ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 29 सितंबर को केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने तिब्बती यूथ कांग्रेस के एक डेलिगेशन से मुलाकात की और तुरंत संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को एक पत्र भिजवाया।
मेनका ने मून से लिखा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र और इसके सदस्य देशों को तुरंत कार्रवाई करते हुए तिब्बत में मानवाधिकारों के हनन के लिए चीन को दोषी ठहराया जाना चाहिए। जंतर मंतर पर तिब्बती युवकों की भूख हड़ताल का 26वां दिन हो गया है। इन्हें समर्थन देने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि जा रहे हैं। इनमें कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, असम के पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल महंत, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, आरएलडी नेता अजित सिंह आदि शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि तिब्बत मसले पर चीन सरकार की संवेदनशीलता के मद्देनजर भारत सरकार के मंत्री तिब्बती गतिविधियों से अपने को अलग रखते हैं। प्रधानमंत्रियों ने भी तिब्बती नेता दलाई लामा से मिलने से परहेज किया है।