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भंडारा, महाराष्ट्र। डॉ. आंबेडकर महिला संगठन ने तीसरी महिला साहित्य सम्मेलन ०२ मार्च २०२२ को अमरावती में आयोजित किया था। हर साल आयोजित किए जाने वाले इस कार्यक्रम के आमंत्रित लोगों में तिब्बती प्रतिनिधिमंडल में तिब्बती महिला संघ की उपाध्याक्ष छेरिंग डोल्मा, आईटीसीओ के समन्वयक जिग्मे त्सुल्ट्रिम, नोर्गीलिंग तिब्बती कल्याण अधिकारी कलसांग िऋछोह और तिब्बती महिला संघ की अध्यक्ष कुनसांग देचेन शामिल थे। इस साहित्य सम्मेलन में विशेष रूप से जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के प्रो. हेमलता महिश्वर, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पा थोराट, डॉ. बी.आर. वाघमारे, डॉ. वृंदा साखरकर, डॉ. सीमा मेश्राम, आंबेडकरी साहित्य एवं संस्कृति संवर्धन महामंडल की अध्यक्ष छाया खोबरागड़े, अशोक बरबुरे और प्रशांत वंजारे सम्मानित अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।
साहित्य सम्मेलन में भाग लेने के बाद तिब्बती प्रतिनिधिमंडल ने भारत-तिब्बत मैत्री संघ के वरिष्ठ सदस्य व अंबेडकर कार्यकर्ता स्वर्गीय सातेश्वर मोहरे के प्रति अपना सम्मान तथा एकजुटता प्रकट करने के लिए उनके परिजनों के साथ मुलाकात। दिवंगत मोहरे का हाल ही में निधन हुआ था।
अपने संबोधन में जिग्मे त्सुल्ट्रिम ने जोर देते हुए कहा कि तिब्बत में दमन और विश्व भर में कोविड के प्रकोप के लिए चीनी सरकार जिम्मेदार है। इसके अलावा, चीन उन डॉक्टरों के अचानक लापता होने के लिए भी जिम्मेदार है, जिन्होंने इस जानकारी को विश्व मंच पर प्रस्तुत किया था। इस दिन की मुख्य चर्चा भारतीय समाज में महिलाओं की दयनीय स्थिति और लैंगिक समानता को लेकर डॉ. आंबेडकर की पहल पर केंद्रित रही। चर्चा में यह पक्ष भी विस्तार से आया कि कैसे डॉ. आंबेडकर के नेतृत्व ने इस मुद्दे के समाधान का प्रयास किया। अंत में डॉ. हिमलता ने घोषणा की कि अगला कार्यक्रम रायपुर और फिर भोपाल में होगा।