तिब्बती धर्मगुरु व नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने कहा है कि उनका मन और शरीर मरते दम तक तिब्बत की स्वायत्तता के लिए लडता रहेगा। यह बात और है कि उन्होंने अब जिम्मेदारियों से मुक्ति का मानस बना लिया है । दलाई लामा ने कहा कि पिछले दिनों चीन ने पशिचमी तिब्बत के लोगों को भ्रमित कर वृहद तिब्बत की राजनीतिक साजिश रची । इससे 60 लाख तिब्बतियों को भ्रमित होने की जरुरत नही है। तिब्बती समाज उनके रिटायरमेंट की चिंता नही करे । वे उनके साथ है । उन्होंने कहा कि 50 साल से इस देश का अन्न खाते -खाते वे अब भारत के बेटे हो गए है । यहीं की परंपरा , सर्वधर्म संस्कृति आदि ने उन्हें इतनी ताकत दी है कि वे मरते दम तक तिब्बत की स्वायत्तता के लिए लडते रहेंगे । खराब स्वास्थय के कारण जयपुर ठहरे दलाई लामा ने संतोकबा दुर्लभजी परिवार की ओर से शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में ये विचार जताए । दलाई लामा के मुताबिक , भारत पूरे विश्व के लिए मॉडल देश है । यहां हजारों सालों से अलग-अलग धर्म व संस्कृतियों से जुडे होने के बावजूद करोडों लोग आपसी सौहार्द व भाई चारे से रहते है।
तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि वे अब अपनी तीन प्रतिज्ञाएं पूरी करने के लिए कार्य़रत है । इनमें से पहली प्रतिज्ञा है शांति के लिए मानवीय मूल्यों का प्रचार -प्रसार । दूसरी, धर्में के बीच आपसी सौहार्द बढाना।
मरते दम तक तिब्बत के लिए लडेंगे । दलाई लामा
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