पीटीआई, 31 मार्च, 2012
चीन के हैकरों ने भारतीय सेना की रिसर्च संस्थाओं और तिब्बती कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया है। साइबर सिक्युरिटी से जुड़ी एक फर्म के मुताबिक चीन की यूनिवर्सिटी से पढ़ा स्टूडेंट इस तरह के साइबर अटैक के मामले में मुख्य आरोपी है।
न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक, तोक्यो की फर्म ‘ट्रेंड माइक्रो’ ने अपनी 24 पेज की रिपोर्ट में कहा है कि ‘लकीकैट’ नाम के हैकिंग कैंपेन में भारतीय सेना के रिसर्च विंग और तिब्बती कम्युनिटी को निशाना बनाया गया। जून 2011 से सक्रिय यह कैंपेन जापान, भारत और तिब्बती एक्टिविस्ट पर हुए 90 साइबर हमलों से जुड़ा है।
इन हमलों के पीड़ितों में भारतीय पोत कंपनियां, जापान की ऊर्जा व प्रौद्योगिकी कंपनियां और तिब्बत समर्थक गुटों के 30 कंप्यूटर सिस्टम भी शामिल हैं। ट्रेंड माइक्रो ने जांच में पता लगाया कि ये साइबर अटैक कैंपेन चीन में बैठे हैकर्स चला रहे हैं।
लालच देकर हैकिंग:
ट्रेंड माइक्रो ने भारतीय बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम का उदाहरण देकर बताया कि किस तरह हैकर्स लालच देकर फंसाते हैं। इसके मुताबिक, हैकर्स ने एक मेल भेजा था, जिसमें उस डिफेंस प्रोग्राम के बारे में जानकारी देने की बात कही गई थी। ऐसे डॉक्युमेंट को जैसे ही खोला जाता है यूजर हैकर के शिकंजे में फंस जाता है। इसी तरह के और भी लालच देकर शिकार को फंसाकर खुफिया डिटेल चुराई जाती हैं। असल में ऐसे डॉक्युमेंट में खास कोड होता है जिससे कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कमजोर पड़ जाता है और हैकर्स उस कंप्यूटर से डिटेल चुरा लेते हैं। इसी तरह तिब्बत समर्थकों को आत्मदाह से जुड़े मेल भेजे गए और जापानी कंपनियों को भूकंप और न्यूक्लियर रिएक्शन से जुड़े मेल का झांसा दिया गया।
न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक, हमले एक ऑनलाइन नाम से हो रहे हैं और इसका मालिक गू काइयुआन चीन की प्रमुख इंटरनेट पोर्टल कंपनी में काम करता है। हो सकता है कि उसने स्टूडेंट्स को खासतौर पर कंप्यूटर अटैक और डिफेंस के काम पर लगाया हो। हालांकि सवाल करने पर गू ने बताया कि मुझे कुछ भी नहीं कहना। हालांकि, साइबर हमले सीधे तौर पर चीन सरकार के हैकर्स से नहीं जुड़े हैं पर सिक्युरिटी एक्सपर्ट्स और बाकी रिसर्चरों का कहना है कि तकनीक और शिकार बनाए गए लोगों से लगता है कि इस हैकिंग अटैक के पीछे कौन सा देश है।