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दिल्ली। भारत की संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य श्री अमरेंद्र धारी सिंह ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने भाषण में ३ फरवरी को तिब्बत का मुद्दा उठाया। श्री ए. डी. सिंह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से बिहार से राज्यसभा के लिए चुने गए।
अपने भाषण में उन्होंने कहाः भारत को अपने दोस्तों के साथ खड़ा होना सीखना होगा। यदि नहीं तो हम एक बार फिर तिब्बत के अपने मित्रवत लोगों को नीचा दिखाने की ऐतिहासिक भूल को दोहरा रहे होंगे। यह अच्छी तरह से प्रलेखित है कि तिब्बतियों ने कभी भी चीनियों की संप्रभुता और आधिपत्य को स्वीकार नहीं किया।’
‘यहां तक कि तत्कालीन सरकार के बहुत ही आदरणीय नेता नेहरू ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र से संपर्क करने की सलाह दी और १९४९ में तिब्बत में सामरिक सैन्य व्यवस्थाओं को देखने के लिए एक युवा सैन्य अधिकारी जोरावर बख्शी को भेजा। चीजें योजना के अनुसार नहीं हुईं और बाकी इतिहास है। हालांकि, इस तेजी से बढ़ती बहुध्रुवीय दुनिया में राष्ट्र को कार्रवाई और निष्क्रियता दोनों के दीर्घकालिक परिणामों का सामना करना पड़ता है और भारत को अपने पड़ोस और उसके बाहर अपने स्वयं के राष्ट्रीय हित के साथ खुद को संयोजित करना होगा।