नागपुर में भारतीय तिब्बत समर्थक समूहों की बैठक
tibet.net
१२ अगस्त, २०२१
११ अगस्त, २०२१। चीनी कम्युनिस्ट सरकार की गलत नीतियों के विरोध की तेजी से भड़क रही आग का प्रतिबिंब महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित भारत स्थित तिब्बत समर्थक समूहों की बैठक में इसके सदस्यों की भागीदारी में परिलक्षित हुई। चीन की गलत और वर्चस्ववादी नीतियां उसके पड़ोसी देशों में शांति और सद्भाव को बाधित कर रही है। विशेष रूप से देखा जा रहा है कि कैसे इसने बल और विश्वासघात के सहारे तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया और अब यह कैसे अपने कठोर कदमों से भारत की अखंडता पर काली छाया बनकर मंडरा रहा है।
‘कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़- इंडिया’ के राष्ट्रीय सह-संयोजक श्री अरविंद निकोसे और क्षेत्रीय संयोजक श्री संदेश मेश्राम ने भारत-तिब्बत मैत्री संघ के बैनर तले इस बैठक की पहल की थी। दुर्भाग्य से, अपने स्वास्थ्य कारणों से श्री निकोसे इस बैठक में शामिल नहीं हो सके। जबकि समता सैनिक दल, भारत- तिब्बत सहयोग मूवमेंट और इंडो-तिब्बत फ्रेंडशिप सोसाइटी- महिला विंग सहित अन्य सभी संगठनों के वरिष्ठ प्रतिनिधि दुनिया भर में कई विकासशील देशों की रीढ़ की हड्डी को तोड़ देने वाले चीन के निहित स्वार्थ परक निवेश नीतियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए एक साथ नागपुर बैठक में पहुंचे।
कार्यक्रम की शुरुआत में उन सभी सदस्यों के प्रति संक्षिप्त शोक व्यक्त किया गया, जिनका इस यात्रा के दौरान और विशेष रूप से मौजूदा महामारी के पहले और दूसरे चरण के दौरान निधन हो गया। आईटीसीओ के समन्वयक ने सभा को इसके उद्देश्य और चीनी कम्युनिस्ट नीतियों के कुकृत्यों के खिलाफ जागरुकता और विकराल हो रहे विरोध के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कितने व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों और यहां तक कि सरकारी संस्थाओं ने इस बार परम पावन १४वें दलाई लामा के ८६वें जन्मदिन समारोह को मनाया है। इसकी अगर पूरी सूचना दी जाए तो कम समय में यह चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। दूसरे शब्दों में उन्होंने जोर देकर कहा कि यह चीनी सरकार के अन्याय को खत्म करने और तिब्बती लोगों के लिए सत्य के उदय का प्रतिबिंब है। उन्होंने कुछ हालिया रिपोर्टों, कार्यक्रमों और भविष्य की पहलों के बारे में भी जानकारी दी, जिनकी योजना मौजूदा महामारी की स्थिति के बावजूद इसके एसओपी के अनुरूप बनाई गई है।
‘कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया’ के सह समन्वयक और नेशनल कंपेन फॉर फ्री तिब्बत के संस्थापक श्री अरविंद निकोसे की अनुपस्थिति में भारत-तिब्बत मैत्री संघ (आईटीएफएस) के महाराष्ट्र राज्य के महासचिव श्री अमृत बंसोड़ से बैठक की अध्यक्षता करने का अनुरोध किया गया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया। श्री बंसोड़ ने प्रतिभागियों से संगठन के वैचारिक मतभेदों के बावजूद एकजुट होकर चीनी सरकार की उन बर्बर, विस्तारवादी और लोलुप नीतियों के खिलाफ खड़े होने का आग्रह किया, जिसने तिब्बती लोगों के जीवन को नरक बना दिया है।
बैठक में भाग लेने वाले अन्य सदस्यों में आईटीएफएस की ओर से श्री राजेश नानवाटकर, श्री. प्रशांत डोय, श्री. अशोक धमगाये, श्री. सचिन रामटेके, डॉ. निलय वाई. चर्दे, श्री. राजीव घिरनिकर, सुश्री हर्षा पाटिल, श्रीमती मंजूषा गोटेकर, श्रीमती माधुरी रंगारी ने भाग लिया तो भारत-तिब्बत सहयोग मूवमेँट की ओर से प्रो. विजय केवलरमानी, श्रीमती सपना तलरेजा, श्री जसविंदर सिंह सैनी, श्री विराग राउत; आईटीएफएस- महिला विंग की ओर से श्रीमती रेखा लोखंडे, पं. मीरा सरदार, श्रीमती सुनंदा खैरकर; समता सैनिक दल की ओर से श्री सुनील सारिपुत्र दार्शनिक विचारों के आदान-प्रदान और भविष्य की पहल की रणनीति बनाने के उत्साह के साथ बैठक में शामिल हुए। बैठक नागपुर के घाट रोड स्थित होटल वृंदावन में आयोजित की गई।
बैठक के समापन के बाद प्रेस क्लब के तिलक पत्रकार भवन, पंचशील स्क्वायर, नागपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस को आईटीएफएस-महाराष्ट्र राज्य के महासचिव श्री अमृत बंसोड़; कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया के क्षेत्रीय संयोजक श्री संदेश मेश्राम और आईटीसीओ के समन्वयक श्री जिग्मे त्सुल्त्रिम ने संबोधित किया। एक घंटे तक चली प्रेस वार्ता के दौरान चीनी नस्ल वाली आबादी के साथ तिब्बती आबादी का बर्बरतापूर्वक एकीकरण, तिब्बत के इतिहास और संस्कृति का संहार, ११वें पंचेन लामा का भविष्य और उनके बारे में जानकारी की गोपनीयता, चीनी तथाकथित विकास परियोजनाओं के कारण तिब्बत की पर्यावरणीय विनाश, चीन-तिब्बत संवाद की बहाली, परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म के चयन में चीनी हस्तक्षेप और भारत-तिब्बत संबंधों सहित कभी न खत्म होने वाली चीनी क्रूरताओं के बारे में चर्चा की गई। प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य धारा के इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट दोनों तरह के मीडिया की उपस्थिति देखी गई।