tibet.net, 11 मई, 2018
धर्मशाला में अपने निवास पर भारतीय युवाओं के एक समूह के साथ बातचीत करते हुए सोमवार को परम पावन दलाई लामा ने कहा कि भारत की महानता यह है कि उसने हजारों वर्षों तक धार्मिक सद्भाव को जिया है।
उन्होंने कहा, ‘भारत में दुनिया की सभी प्रमुख धार्मिक परंपराएं एक साथ रहती आई हैं। हजारों वर्षों से, यहां धार्मिक सद्भाव रहा है। वास्तव में यह भारत की महानता है।’
देश के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के बारे में बोलते हुए परम पावन ने लुधियाना की सीमा पर मूम गांव में घटित एक हालिया घटना को याद किया, जहां बहुसंख्यक आबादी वाले ब्राह्मणों और सिखों ने अपने मुस्लिम भाइयों के लिए एक मस्जिद बनाने में मदद की।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित धर्मगुरु ने कहा, ‘समाचार पत्रों में दूसरे दिन एक रिपोर्ट आई। पंजाब के एक इलाके में स्थानीय आबादी में 4000 सिख थे, 400 हिंदू और 400 मुस्लिम रहते हैं। बहुत छोटे स्तर पर लेकिन स्थानीय लोगों ने 400 मुस्लिम आबादी के लिए एक मस्जिद बनाने में मदद की। यही भारत की खूबी है।’
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी प्राचीन परंपरा, विशेष रूप से भावनाओं के ज्ञान और भावनाओं के कार्यकलापों को अपने में समाहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुनरुद्धार शिक्षा के माध्यम से होना चाहिए, जरूरी नहीं कि एक धार्मिक दृष्टि से ही हो।
उन्होंने कहा, ‘अब हमारी भावनाओं के बारे में और हमारी भावनाओं को बदलने में शिक्षा का क्या स्थान है। यह केवल प्रार्थनाओं के माध्यम से नहीं, बल्कि दिमाग के प्रशिक्षण के माध्यम से हो सकता है। यही भारत की अद्वितीय बात है।’