tibet.net / दिल्ली। भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) द्वारा आयोजित १०वीं तवांग तीर्थ यात्रा को ०१ दिसंबर २०२१ को असम की राजधानी गुवाहाटी से झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। बीटीएसएम के संरक्षक और वरिष्ठ आरएसएस प्रचारक माननीय श्री इंद्रेश कुमार जी ने ०१ दिसंबर से ०७ दिसंबर, २०२१ तक चलने वाली यात्रा में भाग लेने वाले यात्रियों को अपनी शुभकामनाएं और आशीर्वाद देकर यात्रा का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर असम विधानसभा के डिप्टी स्पीकर डॉ नुमोल मोमिन, भारत-तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री हरजीत सिंह ग्रेवाल, उपाध्यक्ष श्री रिनचेन खांडो खिरमे (पूर्व सांसद और मंत्री, अरुणाचल प्रदेश सरकार), सीटीए के सुरक्षा विभाग के कालोन ग्यारी डोलमा, पूर्वोत्तर भारत के लिए भाजपा के संगठन सचिव श्री अजय जामवाल, बीटीएसएम महासचिव श्री पंकज गोयल, गुवाहाटी विधायक श्री हेमांग ठकारिया, मेघालय के राजा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
गुवाहाटी से शुरू हुई १०वीं तवांग तीर्थ यात्रा बोमडिला, दिरांग, सेला दर्रा, जसवंतगढ़ वाया भालुकपोंग, नगांव और तेजपुर होते हुए तवांग पहुंचेगी, जिसे सूर्योदय की धरती अरुणाचल प्रदेश की भूमि का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
तवांग पहुंचने पर यात्री प्रसिद्ध तवांग मठ के दर्शन करेंगे और अपनी आगे की यात्रा के लिए वहां से आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। अगले दिन, वे बुमला में भारत-तिब्बत सीमा का दौरा करेंगे। वहां वे भारत मां की क्षेत्रीय अखंडता के लिए धरती की पूजा करते हुए धरती पूजन करेंगे। अपनी वापसी यात्रा में यात्री माधुरी झील और जंग जल प्रपात के नाम से प्रसिद्ध संगेसर त्सो का दौरा करेंगे और अंत में गुवाहाटी, असम में यात्रा का समापन होगा।
तवांग तीर्थ यात्रा भारत-तिब्बत सहयोग मंच के प्रमुख वार्षिक आयोजनों में से एक रही है, जिसका उद्देश्य कम्युनिस्ट चीन को यह याद दिलाना है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और कम्युनिस्ट चीन द्वारा तिब्बत पर अवैध कब्जे को उजागर करना है। इसका नारा है ‘तिब्बत की आजादी, कैलाश मानसरोवर की मुक्ति और भारत की सुरक्षा’।
भारत-तिब्बत सहयोग मंच माननीय श्री इंद्रेश कुमार और माननीय श्री सुदर्शन के नेतृत्व में ५ मई, १९९९ को अपनी स्थापना के बाद से तिब्बती हित के सबसे मजबूत समर्थकों में से एक रहा है।