22 नवंबर 2019, तवांग। भारत-तिब्बत सहयोग मंच की आठवीं तवांग यात्रा के लिए 350 से अधिक यत्रियों का एक समूह ऐतिहासिक तवांग मठ में प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा हुआ और इस ऐतिहासिक मठ के मुख्य प्रार्थना कक्ष में आत्मशुद्ध िके लिए संक्षिप्त साधना के लिए बैठ गया।
इसके बाद तवांग मठ संग्रहालय के क्यूरेटर भंते येशी खावो ने सभी यत्रियों का स्वागत करते हुए तवांग मठ का विस्तृत परिचय दिया और प्रशंसा के प्रतीक के तौर पर तिब्बती पारंपरिक खतक देकर सबको सम्मानित किया। यात्रियों का स्वागत इसी अंदाज में क्षेत्रीय बीआरडीएल तवांग के सदस्य श्री पेमा दोरजी और श्री लोबसांग दोरजी ने भी किया ।
इसके बाद यात्रीगण तवांग मठ से निकलकर तवांग के मुख्य शहर से होते हुए 4.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कलावांग्पो सभागार पहुंचे। यहां उन्होंने तिब्बत पर चीनी अत्याचारों और भारतीय क्षेत्रों में चीन के अवैध घुसपैठ के खिलाफ प्रदर्शन करके राष्ट्रवाद और एकजुटता की नई ऊर्जा प्रदर्शित की। यहां उन्होंने नारे से संदेश दिया कि ‘चीन की सीमा चीनी दीवार, बाकी सब कब्जा है’, ‘दलाई लामा अमर रहें, अमर रहें’, ‘तिब्बत को मुक्त करो, मुक्त करो’, ‘भारत माता की जय’।
यह यात्रा बीटीएसएम की स्थानीय तवांग इकाई द्वारा आयोजित की गई थी, इसलिए भी इसमें तवांग के स्थानीय निवासियों की भागीदारी रही। इस शांति मार्च में गणमान्य से लेकर आम आदमी तक शामिल हुए थे। अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 8758 फीट की ऊंचाई पर भारत के सभी क्षेत्रों से आकर एकजुटता जताने आए इन यत्रियों के दर्शक बड़ी संख्या में विदेशी और घरेलू पर्यटक भी थे।
कालावांग्पो कन्वेंशन हॉल में शांति मार्च का समापन हुआ, जहां यात्रियों और स्थानीय निवासियों ने एक अन्य कार्यक्रम में शिरकत की। यह ‘पूर्वोत्तर भारत में गुरु नानक की यात्रा’ पर आयोजित एक सेमिनार था। संगोष्ठी की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय गान के बाद विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ हुई। इसके बाद मीपा (मोनपा इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आट्रर्स ) की सांस्कृतिक मंडली ने सांस्कृतिक नृत्य का प्रदर्शन किया जबकि स्वागत भाषण बीटीएसएम के प्रदेश अध्यक्ष श्री वांगदी दोरजी खिरमे द्वारा दिया गया। उन्होंने अपने आदरणीय पिता श्री आरके खिरमे से मिली सीख और सहयोग के बारे में बताया तथा बीटीएमएस के बारे में डॉ कुलदीप चन्द्र अग्निहोत्री से मिली प्रेरणा और श्री इंद्रेश कुमार से राष्ट्रवाद की मिली सीख को भी साझा किया। उन्होंने परमपावन दलाई लामा की पीड़ा के बारे में भी बात की कि वह इन वर्षों में अपनी मातृभूमि तिब्बत में वापस नहीं आ सके, जिसके बाद उन्हें तिब्बत मुद्दे पर काम करने के लिए समस्या का कारण खोजने की मिली।
इस सेमिनार में बीटीएसएम के सचिव श्री पंकज गोयल, आईटीसीओ के समन्वयक जिग्मे त्सुल्तरिम और बीटीएसएम के तवांग जिला अध्यक्ष श्री ल्हुंदुप च्योसांग ने भी संबोधित किया। गोयल ने भारत माता के समग्र विकास और समृद्धि के लिए अरुणाचल प्रदेश के लोगों की एकजुटता के साथ तिब्बत मुद्दे को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
अरुणाचल प्रदेश में बीटीएसएम की इटानगर महिला शाखा ने भी अपने सांस्कृतिक नृत्य के प्रदर्शन के माध्यम से तिब्बत मुद्दे के प्रति समर्थन का इजहार किया और शांति मार्च में भाग लिया।