tibet.net / बेंगलुरु। भारत-तिब्बत समर्थक समूहों ने बेंगलुरु में मुख्य प्रतिनिधि कार्यालय, टीवाईएच की छात्र परिषद और क्षेत्रीय तिब्बती युवा कांग्रेस के साथ मिलकर तिब्बत के ११वें पंचेन लामा गेंधुन चोएक्यी न्यिमा की ३३वीं जयंती मनाई।
इस अवसर पर आईआरएस अधिकारी और अहिंसा के सह-संस्थापक श्री हर्षवर्धन उमरेको मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। सेवानिवृत्त आईएफएस किशन सिंह सुगरा कोविशिष्ट अतिथि के रूप में तथा कोरिया व्यापार संगठन के पूर्व उप निदेशक श्री. टी.एन. चंद्रशेखर अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित थे।
वक्ताओं ने सर्वसम्मति से तिब्बतियों की राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति को बनाए रखने के महत्व के बारे में बात की, जबकि तिब्बतियों से संघर्ष के दौरान सकारात्मक बने रहने का आग्रह करते हुए कहा कि सत्य की जीत होगी।
मुख्य अतिथि ने दलाई लामा और पंचेन लामा के संस्थानों के महत्व और इन दो बहुत महत्वपूर्ण संस्थानों के वंश परंपरा में हेरफेर करने और रणनीतिक रूप से हस्तक्षेप करने की चीनियों की मंशा के बारे में भी बताया।
मुख्य प्रतिनिधि कार्यालय, बेंगलुरु के अवर सचिव तेनज़िन दाज़ी ने ११वें पंचेन लामा के जन्मदिन समारोह का परिचय दिया, जिसमें बताया गया था कि कैसे १९९५ में चीन के जनवादी गणराज्य ने ११वें पंचेन लामा और उनके परिवार का अपहरण किया था।
तीनों मेहमानों को परम पावन १४वें दलाई लामा की चार सिद्धांत प्रतिबद्धताओं ‘थंगका’से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर तिब्बती युवा छात्रावास के छात्रों और लद्दाखी छात्रों ने अपने-अपने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए।