अहमदाबाद। भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय (आईटीसीओ) और कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज के पश्चिमी क्षेत्र के संयोजक के संयुक्त प्रयास के तहत गत 03 फरवरी को अहमदाबाद के गुजरात विद्यापीठ में तिब्बत मुद्दे पर एक कार्यक्रम के आयोजन को अंतिम रूप देने के बारे में विचार विमर्श किया गया।
आईटीसीओ के समन्वयक ने शुरुआत में गुजरात विद्यापीठ का दौरा किया, जहां उन्होंने रजिस्ट्रार प्रो भारत जोशी, मानद निदेशक डॉ राजेंद्र किमानी, गुजरात विद्यापीठ के एमडी देसाई कॉलेज के डॉ कमलेश पटेल और डॉ गिरिधर भाई पटेल से मुलाकात की। बातचीत के दौरान कार्यक्रम के बारे में चर्चा हुई, कार्यक्रम के लिए जगह की खोज की गई थी और इस कार्यक्रम के दौरान वहां के विभिन्न विभागों के सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर चर्चा की गई।
तिब्बत मुद्दे के साथ इस विद्यापीठ के पुराने जुड़ाव को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम के लिए यहां व्यवस्था की गई। विदित हो कि 1989 में परम पावन दलाई लामा ने विद्यापीठ की यात्रा की थी और 2008 में गुजरात विद्यापीठ के पूर्व कुलपति प्रो. नारायणभाई देसाई ने धर्मशाला में सीटीए स्टाफ के लिए गांधीवादी विचार और दर्शन पर विशेष शिक्षण सत्र को संबोधित किया था।
शैक्षणिक सत्र के दौरान पाठ्यक्रम के इतर गतिविधियों के लिए चुने गए छात्रों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए थे। इसके बाद छात्रों द्वारा गांधी की विरासत और भारतीय संस्कृति और परंपरा की पहचान चरखा से सूत काता गया। सभा में आईटीसीओ के समन्वयक ने आगामी कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी और बताया कि गांधी की अहिंसा के अंतर्गत तिब्बत की पहचान के लिए क्या किया जा सकता है। उन्होंने आगामी 23 फरवरी 2020 को आयोजित होने जा रहे इस कार्यक्रम के बारे में दोस्तों को बताने और सबके साथ इसमें भाग लेने का अनुरोध भी किया।
भारत तिब्बत समन्वय केंद्र के समन्वयक ने गुजरात विद्यापीठ के छात्रों- शिक्षकों के साथ बातचीत की
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