नई दिल्ली। भारत-तिब्बत मैत्री संघ (आईटीएफएस), बिहार और श्री कृष्ण जुबली लॉ (एसकेजे) कॉलेज, मुजफ्फरपुर ने तिब्बत की संप्रभुता और तिब्बतियों के आत्मनिर्णय के अधिकार को लेकर संयुक्त रूप से पिछले गुरुवार १८ मई को एक सेमिनार का आयोजन किया।
भारत-तिब्बत मैत्री संघ के उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने आईटीएफएस की शुरुआत और इसके बैनर तले तिब्बत के मुद्दे के लिए जयप्रकाश नारायण, डॉ. राम मनोहर लोहिया, दीन दयाल उपाध्याय, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, एस. निगलिंगप्पा, जॉर्ज फर्नांडिस और उनके जैसे अन्य राष्ट्रीय नेताओं द्वारा निभाई गई भूमिका का वर्णन किया। उन्होंने १९५९ में चीनी आक्रमण और तिब्बत पर चीनी कब्जे से पहले तिब्बत को एक स्वतंत्र देश के रूप में वर्णित किया।
एसकेजे लॉ कॉलेज, मुजफ्फरपुर के निदेशक प्रोफेसर जयंत कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि १९५०-५९ के बीच चीन द्वारा जबरन कब्जा किए जाने से पहले तक तिब्बत एक पूर्ण संप्रभुता संपन्न देश था। उन्होंने कहा कि अगर भारत ने उस समय अपनी भूमिका निभाई होती तो चीन अपने गुप्त मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाता। उन्होंने कहा, ‘यह केवल भारतीयों का ही नहीं बल्कि दुनिया के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह तिब्बतियों के साथ खड़ा रहे।’
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि बीबीआरएयू विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कॉलेज इंस्पेक्टर और आईटीएफएस, बिहार की कार्यकारी समिति के सदस्य प्रोफेसर प्रमोद कुमार थे। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने तिब्बत के इतिहास के बारे में बताया। उन्होंने प्राचीन काल में तिब्बत को एक संप्रभु देश के रूप में वर्णित किया और तिब्बत की अपनी समृद्ध संस्कृति और दुनिया की छत और दक्षिण-पूर्व एशिया में पानी के स्रोत के रूप में तिब्बत के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने तिब्बत पर चीनी शासन, तिब्बत में नागरिक स्वतंत्रता के अभाव और तिब्बत में मानवाधिकारों के अभाव की आलोचना की।
एस.के.जे. लॉ कॉलेज के प्राचार्य प्रो. के.एन. तिवारी ने पीआरसी द्वारा तिब्बत में अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों के उल्लंघन के बारे में बात की। उन्होंने यूएनओ और दुनिया की तथाकथित बड़ी शक्तियों की चुप्पी पर हैरानी जताई। उन्होंने तिब्बत के लिए मजबूत जनमत के निर्माण का आग्रह किया। उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार शर्मा ने तिब्बत के बारे में विशेष रूप से बुद्धिजीवियों और सामान्य रूप से युवाओं के बीच जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
एसकेजे लॉ कॉलेज के उप-प्राचार्य ब्रजमोहन कुमार आजाद ने अक्सर इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन के लिए तिब्बती मुद्दे के प्रणेता (स्वर्गीय) श्री राजनारायण राय को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाने में हर भारतीय की एकजुटता का आह्वान किया। उन्होंने भारत सरकार से चीन को तिब्बत के साथ बातचीत करने के लिए मजबूर करने के लिए तिब्बत के मुद्दे को वैश्विक मंच पर उठाने का अनुरोध किया। डॉ. ब्रजेश कुमार शर्मा ने अपने भाषण में लोकसभाध्यक्ष और प्रधानमंत्री से परम पावन दलाई लामा को भारतीय संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित करने की अपील की। इसके अलावा, उन्होंने परम पावन दलाई लामा को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की भी अपील की।