NDTV इंडिया, 23 मार्च 2015
नई दिल्ली: धर्मनिरपेक्षता की वकालत करते हुए दलाई लामा ने सोमवार को कहा कि भारत में इसका ‘अच्छा नतीजा’ मिला है और कुछ अपवादों को छोड़कर यह काफी स्थिर रहा है। देश में अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थानों पर हमलों की पृष्ठभूमि में तिब्बती आध्यात्मिक नेता की यह टिप्पणी काफी महत्व रखती है।
उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी धर्म को लेकर संघर्ष होता है जो अच्छी बात नहीं है। हमें हर किसी को करीब लाना चाहिए और भरोसा विकसित करना चाहिए। क्योंकि गंभीर मामले अविश्वास से नहीं हल हो सकते।’ वह ‘स्टेंथनिंग डेमोक्रेसी इन इंडिया : पार्टिशिपेशन, इनक्लूजन एंड राइट्स’ विषय पर एक वैश्विक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारत में कानून का शासन है और यहां लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हैं। ‘कुछ अपवादों को छोड़कर यह देश अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा स्थिर है।’ उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता पर आधारित भारतीय संविधान का यहां अच्छा नतीजा निकला है।
स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, ‘सृजनात्मकता की खातिर मानव के लिए स्वतंत्रता आवश्यक है। सिर्फ इंसान ही नहीं पशु भी आजादी को पसंद करते हैं और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि लोगों को आजादी हो।’ दलाई लामा ने भारत और पाकिस्तान के बीच लोगों के आपसी संपर्क की भी वकालत की और कहा, ‘यह काफी महत्वपूर्ण है। यह जारी रहना चाहिए।’
चीन के बारे में दलाई लामा ने कहा कि भारत को अपने यहां अधिक संख्या में चीनी विद्यार्थियों और बौद्ध तीर्थयात्रियों का स्वागत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को ज्यादा संख्या में चीनी बौद्धों और विद्यार्थियों के लिए सहूलियतें मुहैया करानी चाहिए।
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