निर्वासित तिब्बत सरकार के व्यवस्थित प्रयासों का ही प्रशंसनीय परिणाम है कि भारत में एक भी तिब्बती अब तक कोरोना महामारी से संक्रमित नहीं हुआ है। भारत के विभिन्न प्रदेशों में तिब्बती सेटलमेंट हैं। सब जगह तिब्बती समुदाय मास्क पहनने, अत्यावश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलने, हाथ मिलाने या गले मिलने से परहेज, साबुन से अच्छी तरह हाथ धोने, खानपान तथा घर-परिवार में भरपूर सफाई रखने जैसे सभी जरूरी नियमों का पालन प्रसन्नतापूर्वक कर रहा है। इन नियमों का पालन नहीं करने वाले व्यक्ति और देश कोरोना महामारी से बुरी तरह त्रस्त हैं। कोविड-19 बीमारी जिसे कोरोना महामारी कहा जा रहा है, का कोई दवाई नहीं है। अब तक इसका कोई इलाज नहीं है। जब तक बीमारी का इलाज नहीं आ जाता तब तक बचाव ही उपाय है। अपने परिवार में भी एक दूसरे से दो गज दूर ही रहना है।
परमपावन दलाई लामा ने भी कोरोना संबंधी अपने संदेश में भारत सरकार, प्रांतीय सरकारों तथा संपूर्ण भारतीय समाज की तालाबंदी (लाॅकडाउन) से जुड़े सभी नियमों के पालन करने-कराने के लिए प्रशंसा की है। उनकी प्रार्थना है कि संसार में सभी इस महामारी से बचाव में सरकारों तथा संगठनों का साथ दें और उनके आवश्यक निर्देशों का पालन करें। उन्होंने कोरोना महामारी से निपटने में सक्रिय प्रधानमंत्री केयर्स फंड तथा हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री राहत कोष में सेवास्वरूप आर्थिक योगदान किया है। निर्वासित तिब्बत सरकार के सिक्योंग डा0 लोबसंग संग्ये के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत गठित कोविड-19 कार्यसमिति नियमित रूप से भारत तथा विदेशों में रहने वाले तिब्बती समुदाय को कोरोना महामारी के बारे में प्रामाणिक सूचनायंे प्रदान कर रही है तथा उन्हें बचाव के उपाय बता रही है ताकि भविष्य में भी वे इसके संक्रमण से बचे रहें।
तिब्बती समुदाय भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी है क्योंकि उनकी दूरदृष्टि के कारण भारत में तालाबंदी सही समय पर लागू की गई और अन्य सभी आवश्यक उपाय किए गए। उनकी कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए डा0 लोबसंग संग्ये ने तिब्बती समुदाय के लिए पूरे मई माह तालाबंदी की घोषणा की है जबकि भारत सरकार की ओर से तालाबंदी सिर्फ 17 मई तक है। कोविड-19 कार्यसमिति की ओर से सिक्योंग डा0 लोबसंग संग्ये हर सप्ताह प्रेसवार्ता में तिब्बती समुदाय में कोरोना महामारी संबंधी नवीनतम स्थिति तथा आगामी कार्ययोजना की जानकारी दे रहे हैं। उनके निर्देश के अनुसार सभी तिब्बती शिक्षण संस्थान, मठ एवं अन्य संस्थायंे बंद हैं। वृद्ध आश्रम में भी प्रशासनिक काम बंद है सिर्फ सेवा कार्य चालू हैं।
दलाई लामा एवं सिक्योंग डा0 लोबसंग संग्ये की तरह अन्य तिब्बती भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में गठित प्रधानमंत्री केयर्स फंड तथा मुख्यमंत्री राहत कोष में आर्थिक सहयोग कर रहे हैं। विभिन्न प्रांतों में स्थित तिब्बती सेटलमेंट, संगठन तथा तिब्बती भाई-बहन स्थानीय स्तर पर जरूरतमंद भारतीयों, विशेषकर अस्थायी तालाबंदी से बेरोजगार हो चुके मजदूरों के लिए भोजन, राशन की व्यवस्था कर रहे हैं। वे स्थानीय प्रशासन के सहयोग से मास्क वितरण भी कर रहे हैं। यह तिब्बती समुदाय आजीवन सेवा भावी है। भगवान बुद्ध के दर्शन से उसे सेवा, करुणा और प्रेम तथा सहयोग की शिक्षा मिली है। इसी का प्रमाण और परिणाम है कि सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेसिंग) के होते हुए भी उनका आपसी भावनात्मक लगाव (इमोशनल रिलेशनशिप) ज्यादा बढ़ा है।
कोविड-19 कार्यसमिति का पूरा प्रयास अफवाहों से बचाव का भी है। बीमारी से ज्यादा खतरनाक है अफवाह। कथित रूप से चीन सरकार ने और उसके समर्थकों ने अफवाह फैला दी कि कोरोना बीमारी का विषाणु (वायरस) अमरिका से फैला है। इस अफवाह का समय रहते खंडन होने से अनावश्यक सामाजिक तनाव उभरा ही नहीं। सच्चाई सामने आई कि चीन के वुहान शहर से कोरोना महामारी विश्व के हर कोने में पहुँची है। चीन को इसके बारे में पहले से पता था और उसने जानबूझकर इस जानकारी को छिपाए रखा।
कोरोना महामारी से निपटने में काम आने वाले कई प्रकार के उपकरण तथा मास्क आदि चीन ने कई देशों से मुफ्त में मंगा लिये। बाद में वही सामग्री उसने दाता देशों को भी पैसे लेकर प्रदान किए। उसने अपने यहाँ तैयार सामग्री ऊँची कीमत पर अन्य देशों में भेजी। ज्यादातर देशों ने उन्हें घटिया स्तर का पाया। वह सामग्री वापस कर दी गई। विभिन्न देशों की नजर में चीन की छवि जमाखोरी-कालाबाजारी वाली हो गई है जो विश्व स्तरीय महामारी में भी भारी भरकम लाभ कमाना चाहता है। इन्हीं कारणों से परेशान चीन ने तिब्बत का नाम उछाल दिया। चीन ने तिब्बत पर अवैध कब्जा कर रखा है। वहाँ मानवाधिकार का हनन कर रहा है तथा वहाँ के प्राकृतिक संसाधन बर्बाद कर रहा है। इसीलिए विश्व समुदाय को चीन की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। तिब्बती समुदाय चीन द्वारा प्रचारित अफवाहों से सावधान है। कोरोना महामारी के समय भारत में तिब्बती समुदाय भारत सरकार, विभिन्न प्रांतीय सरकारों तथा स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का निष्ठापूर्वक कड़ाई से पालन कर रहा है।