लाइव हिन्दुस्तान, 15 दिसंबर, 2018
तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने शुक्रवार को कहा कि बौद्ध परंपरा बहुत उदार है। उसमें पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए समान अधिकार हैं और भविष्य में कोई महिला दलाई लामा हो सकती है। दलाई लामा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बंबई में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में कोई महिला दलाई लामा हो सकती है। दलाई लामा ने कहा कि बौद्ध धर्म ने दोनों लिंगों को समान अधिकार दिए हैं। तिब्बत और भारत में महिलाएं भी पंथ प्रमुख रह चुकी हैं। उन्होंने कहा कि करीब 15 साल पहले महिलाओं के लिए एक फ्रांसीसी पत्रिका की संपादक ने मेरा साक्षात्कार लिया। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या भविष्य में कोई महिला दलाई लामा हो सकती है। मैंने कहा था, हां। अगर भविष्य में महिला ज्यादा प्रभावी हुई तो निश्चित तौर पर हां। बौद्ध परंपरा काफी उदार है।
उन्होंने भारत का उल्लेख करते हुए कहा कि दूसरे देशों ने ईश्वर की अवधारणा को अपनाया, लेकिन केवल प्रार्थना करने के लिए जबकि भारत ने मानसिक शांति की तकनीक विकसित की। खुशी का शांति से गहरा संबंध है। 20वीं सदी में काफी हिंसा और परेशानियां थी। 21वीं सदी में इसे दोहराना नहीं चाहिए और शांति होनी चाहिए, लेकिन आंतरिक शांति के बिना आप वास्तविक शांति पैदा नहीं कर सकते। बता दें कि दलाई लामा को साल 1989 में नोबेल का शांति पुरस्कार मिला था और तिब्बत तथा अन्य कारणों के लिए आजादी का समर्थन करने के कारण उन्हें दुनियाभर में पहचाना जाता है।