ब्रेकिंग पॉइंट पर: लॉकडाउन में तिब्बतियों कीमदद की गुहार
nytimes.com / विवियन वांग
१६ सितंबर, २०२२
(चीन की लगातार सख्त कोविड नियमों ने उन क्षेत्रों के निवासियों को भी सार्वजनिक रूप से विरेाध के लिए प्रेरित किया है, जिन्हें आमतौर पर चुप रहने के लिए जाना जाता है)
बीजिंग।कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को उन लोगों के साथ ही रख दिया गया जो संक्रमित नहीं थे। बार-बार गुहार लगाने के बाद भी उन्हें घंटों खाना नहीं मिलता। लोगों से लदी बसों की कतारें देर रात तक उन्हें अस्थायी आइसोलेशन केंद्रों पर छोड़ने के लिए लगी रह रही हैं।
यह वर्णित दृश्य तिब्बत की राजधानी ल्हासा के निवासियों के हैं, जिन्हें कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने की कोशिश में अधिकारियों द्वारा एक महीने के लिए लॉकडाउन में डाल दिया गया था।
कोरोना वायरस को खत्म करने पर आमादा पूरे चीन में लॉकडाउन लगभग आम हो गया है। इसमें उसके सभी शहर भी शामिल हैं।जबकि बाकी दुनिया इसके साथ रहने की कोशिश कर रही है। लेकिन दो सीमावर्ती क्षेत्रों- तिब्बत और झिंझियांग में चीनी सरकार ने अत्यधिक दमनकारी नियंत्रण स्थापित किया है। यह इसी बात से समझा जा सकता है कि जहां के निवासी आमतौर पर चुप रहने के लिए जाने जाते हैं, वहां इतनी निराशाजनक स्थिति बन गई है कि वे मदद के लिए दयनीय गुहार लगा रहे हैं।
फिर भी अधिकारियों के लिए असंतोष के प्रति मौन धारण कर लेने की प्रवृत्ति सामान्य से अधिक कठोरतापूर्ण है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अगले महीने एक बड़ी राजनीतिक समारोह आयोजित करने वाली है, जहां उसके नेता शी जिनपिंग का कार्यकाल बढ़ना लगभग तय है। इसके बाद, अधिकारियों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ‘शून्य कोविड’ की स्थिति को प्राप्त करने का प्रयास सुचारू और सफल हो, जिसे श्री शी ने अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकता घोषित कर रखी है।
लेकिन इसके जो परिणाम दिख रहे हैं, वे स्थिति को दुष्चक्र में डालने वाले हैं। अधिकारियों ने पृथकवास और सेंसरशिप के लिए सख्त नियम बनाए हैं। इसे लागू करने पर अधिक कठोरता और असंतोष पैदा हो रहे हैं।
शहर में खाद्य वितरण करनेवाले एक कर्मचारी ने आधिकारियों द्वारा प्रतिशोध लिए जाने के डर से केवल अपना मिन उपनाम बताते हुए कहा,‘आप सोशल मीडिया पर ल्हासा के लोगों के जो पोस्ट देखते हैं, वे सभी उनके कष्टों के बारे में हैं, जो ल्हासा की वास्तविकता है। मुझे लगता है कि ल्हासा में की जा रहीं सभी सार्वजनिक घोषणाएं नकली हैं।‘
सरकार ने अधिकारियों के उन सकारात्मक वीडियो को बढ़ावा दिया है जो फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करते हैं और भोजन और दवा की पर्याप्त आपूर्ति का वादा करते हैं। लेकिन श्री मिन ने कहा कि उन्हें एक अधूरे अपार्टमेंट की इमारत में परिवार के पांच सदस्यों के साथ छोड़ दिया गया था, जबकि उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई थी। कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर १० सितंबर को उनका नवीनतम परीक्षण भी निगेटिव आया, तो उन्हें रिहा किया जा सकता है। हालांकि, काफी दिनों से इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा रहा है।
श्री मिन ने कहा,‘जब वह रिहा होने की प्रतीक्षा कर ही रहे थे कि अधिकारियों ने एक और व्यक्ति को उनके परिवार में शामिल होने के लिए इस पृथकवास केंद्र में भेजदिया,क्योंकि वे सभी नस्लीय तौर पर ‘हुई’ नामक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य थे। लेकिन उस आदमी ने कहा कि उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। श्री मिन ने कहा कि वह दो मास्क पहन सकते हैं और दूरी बनाए रखने की कोशिश कर सकते हैं।
पूरे चीन में प्रतिबंध कड़े किए जा रहे हैं। पिछले हफ्ते, केंद्र सरकार ने घोषणा की कि पूरे देश, यहां तक कि बिना संक्रमण के मामलों वाले क्षेत्रों को भी अक्तूबर से सभी निवासियों के नियमित परीक्षण को अनिवार्य कर दिया जाएगा। हाल के हफ्तों में लाखों लोगों को लॉकडाउन में रख दिया गया है। हाल के दिनों में कई दर्जन मामले सामने आने के बाद राजधानी बीजिंग हाई अलर्ट पर है।
हालांकि, तिब्बत और झिंझियांग में लॉकडाउन लगे एक महीने से अधिक होने को है। लगभग ९,००,०००की आबादी वाले ल्हासा में लगभग ७० प्रतिशत तिब्बती मूल के लोग रहते हैं। यहां भी सरकार ने ०८ अगस्त से कुछ क्षेत्रों को बंद करने का आदेश देना शुरू कियाऔर जल्द ही प्रतिबंध पूरे शहर में लागू हो गया। झिंझियांग के उत्तर-पश्चिमी हिस्से का एक शहर यिनिंग में भी अगस्त की शुरुआत से लॉकडाउन लागूहै।
शंघाई और चेंगदू जैसे बड़े शहरों के लॉकडाउन इस साल चीनी सोशल मीडिया पर छाए रहे। हालांकि ऐसे शहरों की तुलना में इन इलाकों में तालाबंदी ने पहली बार में अपेक्षाकृत कम ध्यान आकर्षित किया। लेकिन हाल के दिनों मेंजब प्रतिबंधों में कोई ढिलाई के संकेत नहीं दिखे तोनिवासियों ने अपनी दुर्दशा पर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक ऑनलाइन अभियान चलाया है। कुछ ने आधिकारिक कवरेज को आकर्षित करने की उम्मीद में सरकारी मीडिया संस्थानों को टैग किया है। अन्य ने असंबंधित ट्रेंडिंग हैशटैग संलग्न किए हैं। उदाहरण के लिए एक अभिनेता पर वेश्याओं को रखने का आरोप लगाया गया है।
शायद सबसे उल्लेखनीय है कि इस तरह की दुर्दशा को बयान करने वाले सामूहिक चित्कार में एक स्वर में जातीय तिब्बतियों का भी शामिल हैं। तिब्बती एक ऐसा समूह है,जो सरकार की किसी भी आलोचना करने पर तीव्र परिणाम भुगत सकता है। श्री शी के नेतृत्व मेंतिब्बत में अधिकारियों ने पुनर्वास कार्यक्रमों, राजनीतिक शिक्षा और उनकी भाषा पर कार्रवाई के माध्यम से नस्लीय रूप से अलग तिब्बतियों को आत्मसात करने के लंबे समय से प्रयास तेज कर दिए हैं। तिब्बत आजकल चीन का एक हिस्सा है, जिसे आधिकारिक तौर पर तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
तिब्बती स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले एक विदेशी कार्यकर्ता समूह-तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट के अनुवादों के अनुसार, टिकटॉक के चीनी संस्करण डॉयिन परकुछ निवासियों ने तिब्बती में वीडियो साझा किया है, जिसमें काम न मिलने और किराए का भुगतान करने में असमर्थ होने का वर्णन किया गया है। एक व्यक्ति ने खुद को एक वाहन में फिल्माते हुए कहा कि वह एक महीने से अपनी कार में सो रहा है। एक महिला ने तिब्बत में कहीं और अपने गांव लौटने की अनुमति देने की याचना की और अपना भोजन समाप्त होने की चिंता का वर्णन किया है।
तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट की निदेशक ल्हादोन टेथोंग ने कहा कि पहले की सूचनाओं की तुलना में इस सप्ताह तिब्बती करुण क्रंदन की बाढ़ को देखकर दंग रह गईं हैं।
उन्होंने कहा,‘वे अंदर से आने वाली मदद के लिए ये करुण क्रंदन करते जिसे हम ज्यादा नहीं देख पाते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि वे कष्टों की इंतिहा झेल रहे हैं।‘
कई वीडियो हटा दिए गए हैं। घर जाने के लिए कहने वाली महिला के वीडियो में महिला जोर देकर कह रही है कि वह विरोध नहीं कर रही थी। यह वीडिया अब ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। टि्वटर जैसे चीनी प्लेटफॉर्म ‘वीबो’ परएक यूजर की ल्हासा के लॉकडाउन के बारे में पोस्ट को ६०००से अधिक बार साझा किया गया था। इसेबाद में फिर से पोस्ट किया गया। इस यूजर ने अन्य यूजर्स के बीचजागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से सरकारी अकांउट्स पर टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद दिया, लेकिन उन्हें टैग करना बंद करने के लिए कहा गया। उसने आगे लिखा,‘बोलने के जोखिम वास्तव में बहुत अधिक हैं। मैं बहुत घबरा रही हूं।‘
ल्हासा के अधिकारियों के ‘बल्किुल बर्दाश्त न करने (जीरो-टॉलरेंस) नीति ने देश की प्रमुख और बहुमत आबादी वाले हान मूल की आबादी को रुला दिया है।
३० वर्षीय वेन यान ने कहा कि उसे, उसके प्रेमी और चार साथियों को सोमवार को केंद्रीकृत पृथकवास केंद्र में रखने का आदेश दिया गया था, हालांकि उनके नवीनतम जांच रिपोर्ट निगेटिव थे। वे शाम करीब चार बजे एंबुलेंस में सवार हुए। लेकिन उन्हें किसी पृथवास केंद्र में नहीं छोड़ा गया, बल्कि एक दूसरे अधूरे अपार्टमेंट परिसर में छोड़ दिया गया जिसमें७बजे के बाद तक अपार्टमेंट के बाथरूम में पानी भरा हुआ था।
उन्होंने कहा कि वहां पर उन्हें कोई भोजन नहीं दिया गया।वहां एक कार्यकर्ता ने कहा कि वे बहुत देर से पहुंचे हैं। सुश्री वेन ने कहा कि आधी रात के आसपासउसके प्रेमी और एक अन्य व्यक्ति ने कुछ कार्यकर्ताओं से भोजन की मांग की। इस पर उन्हें पीटा गया। इसके साथ ही उन्होंने उनकी चोटों की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं।
सुश्री वेन ने भी वीबो पर अपनी तस्वीरें पोस्ट कीं, जहां उन्हें हजारों बार शेयर किया गया। अगले दिन, उसके पृथकवास केंद्र के एक अधिकारी ने उसे हटाने के लिए कहा, लेकिन वेन ने मना कर दिया।
उन्होंने कहा,‘अगर ये पोस्ट मौजूद नहीं हैं, तो किसी को परवाह नहीं है। मैं उन्हें नहीं हटाऊंगा क्योंकि वे सभी सच हैं।‘
उग्यूर मूल की आबादी के निवास वाले प्रांतझिंझियांग के यिनिंग में भी अनेकलोगों के लिए स्थितियां गंभीर बनी हुई हैं। वहां के निवासियों ने भोजन और महिला सैनिटरी नैपकिन की कमी के बारे में शिकायतें की हैं। उनकी दुर्दशा की कहानियांहाल तक सोशल मीडिया पर पोस्ट के तूफान तक के दौर में भी काफी हद तक अज्ञात रही हैं। पिछले हफ्ते, स्थानीय अधिकारियों ने चिकित्सा केंद्रों तक पहुंचने में निवासियों की कठिनाइयों के लिए माफ़ी मांगी।
शहर में दो बच्चों की मां हलीपा ने कहा कि हाल के दिनों में अधिकारियों ने मांस और नान दिया था। उसने तीन सप्ताह में पहली बार मांस खाया था। लेकिन वह अभी भी फल नहीं खरीद पा रही थी और इस बात से चिंतित थी कि पोषण की कमी ने उसके बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर दिया है। दोनों को इसी महीने बुखार आया था।
यिनिंग सरकार ने कहा है कि वह धीरे-धीरे शहर को फिर से खोल रही है। लेकिन हलीपा ने कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं था कि उनके अपार्टमेंट की इमारत में निवासियों को बंद रखने वाले स्टील के ताले को हटाया जा रहा है।
जैसे-जैसे दुखों की और कहानियां ऑनलाइन सामने आई हैं, वैसे- वैसे उन्हें दबाने के प्रयास तेज हो गए हैं। कुछ ने चेतावनी दी है कि इस तरह के उपाय बहुत दुखदायी होते जा रहे हैं।
इस हफ्ते, शेडोंग प्रांत के स्थानीय अधिकारियों ने ऐलान किया कि उन्होंने अपने पड़ोस के चैट समूह में चीन के सरकारी प्रसारक के लाइवस्ट्रीम को साझा करने और लोगों से टिप्पणियां करने के लिए और मदद मांगने के लिए कहने पर एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है। नोटिस पर टिप्पणी करते हुएएक राष्ट्रवादी सरकारी मीडिया टैब्लॉइड के सेवानिवृत्त संपादक हू ज़िजिन ने स्थानीय सरकारों को शून्य-कोविड नीतियों के प्रति सार्वजनिक समर्थन को नजरअंदाज करने के खिलाफ चेतावनी दी है।
उन्होंने अपने व्यक्तिगत वीबो पेज पर लिखा,’हमें सही ढंग से समझना चाहिए कि महामारी की रोकथाम में ‘दृढ़’ होने का क्या मतलब है।और अधिक कठोर उपाय जरूरी नहीं कि अधिक सही हों।‘ उन्होंने लिखा कि लोगों की ‘समझ को जीतने के लिए कड़ी मेहनत करना’ अधिक महत्वपूर्ण है।
हालांकिअधिकारी अभी भी अधिक कठोर उपाय अपनाने पर ही भरोसा कर रहे हैं।
बुधवार कोविश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा की कि महामारी का अंत निकट है। यह एक ऐसी घोषणा थी, जिसके बाद चीनी सोशल मीडिया पर उम्मीद जतानेवाले और बढ़ते नियंत्रण को रोकने वाले पोस्टों की झड़ी लग गई।
गुरुवार तक वीबोने कोविड का अंत निकट कहने वाले हैशटैग ‘W.H.O’पर प्रतिबंध लगा दिया।
विवियन वांग बीजिंग में चीन संवाददाता है। वहां से वह इस मुद्दे पर लिखती है कि कैसे देश का वैश्विक उभार और महत्वाकांक्षाएं वहां के लोगों के दैनिक जीवन को नया आकार दे रही हैं।