EENADU INDIA हिंदी, 13 मई, 2016
दलाई लामा ने कहा कि हमें दूसरों को सिखाने के बजाये पहले अपने आप से शुरुआत करनी चाहिए कि हम दूसरों के लिये क्या सोचते हैं। दलाई लामा ने कहा कि पहले हर किसी को पहले अपना आचरण बदलना होगा।दलाई लामा ने कहा कि सभी मनुष्यों में गलत और सही में अंतर करने की क्षमता है, पर जब हम क्रोध या लगाव के प्रभाव में होते हैं तो हम विवेक की क्षमता खो देते हैं। अपनी बुद्धि का पूरा उपयोग करने के लिए हमें एक शांत चित्त की आवश्यकता होती है। और हम चित्त की प्रकृति से अनभिज्ञ से रहते हैं।
हमें जानने की आवश्यकता हो कि हम चित्त को किस तरह आकार दें, उसे अस्थिर से शांत रूप में परिवर्तित करने के लिए। श्रवण, चिंतन और मनन की प्रज्ञा का विकास सहायक होगा। सभी दु:खों का मूल क्लेश हैं और उनका मूल अज्ञानता है। जो दु:ख का शमन करना चाहते हैं उन्हें प्रज्ञा उत्पन्न करनी चाहिए।
Link of news article: http://hindi.eenaduindia.com/State/HimachalPradesh/2016/05/13122107/Buddhism-gives-impetus-to-the-peace-and-harmonyDalai.vpf