
धर्मशाला। परम पावन १४वें दलाई लामा बाइलाकुप्पे में लगभग छह सप्ताह और इसके बाद दो दिन के हुनसुर प्रवास के बाद आज २१ फरवरी की सुबह स्थानीय तिब्बतियों, भक्तों और शुभचिंतकों के उत्साहपूर्ण स्वागत के बीच विदा लेकर सुरक्षित रूप से धर्मशाला लौट आए।
यहां कांगड़ा हवाई अड्डे पर स्पीकर खेन्पो सोनम तेनफेल, कार्यवाहक सिक्योंग थारलाम डोल्मा चांगरा (शिक्षा विभाग की कालोन), धर्मशाला तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी कुंचोक मिग्मार और धर्मशाला में स्थित विभिन्न तिब्बती गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने परम पावन का गर्मजोशी से स्वागत किया।
इसके अलावा परम पावन का स्वागत करने के लिए तिब्बतियों की भारी भीड़ कई स्थानों पर एकत्रित हो गई थी। भीड़ में शामिल लोग पारंपरिक वस्त्र पहने हुए थे और हाथों में औपचारिक स्कार्फ (खटक) और धूपबत्ती लिए हुए थे। वे परम पावन को देखने और उनके वाहन के गुजरने पर उनकी एक झलक पाने के लिए उत्सुक थे।
सुगलागखांग के अंदर अपने आधिकारिक निवास के प्रवेश द्वार पर निर्वासित तिब्बती संसद और सरकार का प्रतिनिधिमंडल परम पावन की अगवानी के लिए कतार में खड़ा था। इसमें निर्वासित तिब्बती संसद की डिप्टी स्पीकर डोल्मा शेरिंग तेखांग, कालोन नोरज़िन डोल्मा, चुनाव आयुक्त लोबसंग येशी, लोक सेवा आयुक्त कर्मा येशी, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सचिव शामिल थे।
बायलाकुप्पे में अपने प्रवास के दौरान परम पावन ने सेरा मठों, ताशी ल्हुनपो मठ और ग्यूडमेड तांत्रिक मठ द्वारा की गई दीर्घायु प्रार्थनाओं की शृंखला में भाग लिया। परम पावन ने तिब्बत में हाल ही में आए विनाशकारी भूकंप के पीड़ितों के लिए एक प्रार्थना समारोह में भी भाग लिया और विभिन्न अवसरों पर ताशी ल्हुनपो मठ में शीतकालीन वाद-विवाद सत्र में भाग लिया। १३ फरवरी को परम पावन ने ताशी ल्हुन्पो मठ के वार्तालाप प्रांगण में क्षेत्र के भक्तों और अनुयायियों तथा विश्व भर से आए लोगों को व्हाईट तारा नामक इच्छा पूर्ति चक्र पर आधारित दीर्घायु आशीर्वाद प्रदान किया, जिसका शीर्षक था ‘अमरता की अमृत धारा’।