वाशिगंटन। चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ ने अमेरिका को दो टूक शब्दों में कहा है कि, वह ताइवान और तिब्बत के मामले पर ज्यादा जोर न दे। हू ने कहा कि उभरती एशियाई शक्ति को सहयोग की जरूरत है। और अमेरिका को सहयोग करना चाहिए। कैपिटल हिल में सीनियर अमेरिकी सांसदों के साथ बातचीत में आर्थिक और मानवाधिकार चिंताओं का मामला उठाया गया। इसमें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लियु श्याबाओ को जेल की सजा का मुद्दा भी शामिल था। हू ने ‘आपसी सम्मान’ का अनुरोध किया और कहा कि चीनी और अमेरिकी संबंध ऐसे नहीं हैं, जिनमें एक को लाभ और दूसरे को हानि हो। ताइवान और तिब्बत चीन की संप्रभुता और भूभागीय एकता से जुड़े मुद्दे हैं। इससे चीन के महत्वपूर्ण हित जुड़े हुए हैं। गौरतलब है कि ताइवान एक स्वशासित द्वीप है। जिसमें तिब्बत बौद्धों का एक बड़ा भूभाग है जहां चीन ने 1950 में अपने सैनिक भेजे थे।
‘बस तिब्बत, ताइवान मामलों पर जोर न दो’
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