tibet.net
टोक्यो। तियानमेन स्क्वायर नरसंहार घटना का स्मारक कार्यक्रम आज ०४ जून को यहां चीनी दूतावास के सामने विरोध मार्च और नारों के रूप में मनाया गया।इस अवसर पर बंक्योकू सामुदायिक केंद्र हॉल में एक वार्ता कार्यक्रम और टोक्यो में एक मोमबत्ती जुलूस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आयोजक, तियानमेन नरसंहार जिकेन प्रोटेस्ट कमेटी ने जापान और पूर्वी एशिया के लिए परम पावन दलाई लामा के संपर्क कार्यालय के प्रतिनिधि डॉ. आर्य त्सेवांग ग्यालपो को टोक्यो के कार्यक्रम में बोलने के लिए आमंत्रित किया था।
वक्ताओं के पैनल में चीनी लोकतंत्र आंदोलन के अध्यक्ष ओउ ताई,चीनी-अमेरिकी स्तंभकार चेन पोकोंग,दक्षिण मंगोलिया के डाइचिन ओलहुंडऔर हांगकांग डेमोक्रेसी मूवमेंट के विलियम शामिल थे। अमेरिका के चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ता और ‘ह्यूमेनिटेरियन चाइना’ नामक संस्था के अध्यक्ष झोउ फेंगसो ने कार्यक्रम में ऑनलाइन भाग लिया। समिति के अध्यक्ष कोजिमा ताकायुकी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
दर्शकों को तियानमेन नरसंहार और चीनी सेना की बर्बरता की वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई गई। समिति के सदस्यों ने चीनी और जापानी भाषाओं में २०१०में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता लियू शियाओबो की तियानमेन नरसंहार पर लिखी कविता पढ़ी। वक्ताओं ने बताया कि कैसे चीनी कम्युनिस्ट नेतृत्व ने युवा चीन की आवाज का बेरहमी से गला घोंट दिया और प्रदर्शनकारियों की जान ले ली। उन्होंने चीनी नेतृत्व से वास्तविकता का सामना करने और लोकतंत्र और कानून के शासन को अपनाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा बनने का आग्रह किया।
प्रतिनिधि आर्य ने उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित करने और तियानमेन नरसंहार पर तिब्बती विचारों को प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करने के लिए समिति को धन्यवाद दिया। उन्होंने चीन में स्वतंत्रता और लोकतंत्र की निरंतर लड़ाई में चीनी भाइयों और बहनों के साथ तिब्बती लोगों की एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यद्यपि चीनी कम्युनिस्ट नेतृत्व ने ३३ साल पहले लोकतंत्र और युवा चीन की आवाज को दबाने की कोशिश की, लेकिन उनकी आवाज न केवल लाखों चीनियों के दिल में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लाखों लोगों दिल और दिमाग में भी जिंदा और जीवंत है।
प्रतिनिधि आर्य ने चीनी अत्याचारों, मानवाधिकारों के उल्लंघन, धार्मिक स्वतंत्रता के दमन और तिब्बतियों द्वारा तिब्बत में आत्मदाह किए जाने के बारे में बात की। उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट नेतृत्व के इस आरोप का खंडन किया कि तिब्बती अलगाववादी और चीन विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि लारुंग-गर और याचेन-गर मठों का विनाश, तिब्बतियों और चीनी भक्तों का जबरन अलगाव और तिब्बत के लिए वास्तविक स्वायत्तता पर तिब्बतियों के ज्ञापन का चीनी जनता के सामने खुलासा न करना इस तथ्य का संकेत है कि चीनी कम्युनिस्ट नेतृत्व असली अलगाववादी है, तिब्बती नहीं।
हॉल पूरी तरह से जापानी, चीनी, दक्षिण मंगोलियाई और हांगकांग के बुद्धिजीवियों और समर्थकों से भरा हुआ था। तिब्बत के लिए जापानी संघ के एक गैर-पक्षपाती एसोसिएशन ‘सुपर संघ’के भंते हयाशी शुई और भंते कोबायाशी शुई ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।
वार्ता कार्यक्रम चीनी लोगों द्वारा मातृभूमि में लोकतंत्र की मांग के लिए संघर्ष के साथ समर्थन और एकजुटता व्यक्त करने वाले एक प्रस्ताव पारित करने के साथ समाप्त हुआ। प्रस्ताव में चीनी नेतृत्व से अपने लोगों के खिलाफ दमन और अत्याचार बंद करने का आग्रह किया गया है।
इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें आयोजकों और वक्ताओं ने मीडिया से बातचीत की। हॉल के प्रवेश द्वार पर विरोध की क्रूरता और दमन को प्रदर्शित करने वाली तस्वीरें प्रदर्शित की गई थीं।